Bhagavad Gita में कई श्लोक ऐसे हैं जो ट्रेडिंग ,निवेश, धैर्य और निर्णय लेने की प्रक्रिया में मार्गदर्शन कर सकते हैं। स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में इनका विशेष महत्व होता है। यहाँ कुछ प्रमुख श्लोक और उनका तात्पर्य दिया गया है ।
भगवद गीता से सीखें शेयर बाजार में सफलता का रहस्य
धैर्य और संयम (Patience & Discipline)
श्लोक:
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥
(भगवद्गीता 2.48)
अर्थ:
हे अर्जुन! योग में स्थिर होकर, आसक्ति को त्याग कर, सफलता और असफलता में समान रहकर अपने कर्तव्य का पालन करो। यही समत्व भाव (योग) कहलाता है।
स्टॉक मार्केट में सीख:
सफलता और असफलता स्टॉक मार्केट में भी आती है ,हमें धैर्य रखना चाहिए और भावनाओं के बहाव में बहकर निर्णय नहीं लेना चाहिए। स्थिर चित्त से ट्रेडिंग करें और लालच व डर से बचें।
सही निर्णय और रणनीति (Right Decision & Strategy)
श्लोक:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(भगवद्गीता 2.47)
अर्थ:
आप के हात में केवल अपने कर्म (प्रयास) करना है , कर्म का फल आपके हाथ में नहीं होता है , आप सोच रहे हो कभी आपको उससे कई गुना अच्छा भी मिलता है और कभी आप की इच्छा अनुसार नहीं मिलता है , इसलिए कर्म करते रहो फल की चिंता मत करो और अकर्मण्यता (कुछ न करने) में भी आसक्त मत हो।
स्टॉक मार्केट में सीख:
ट्रेडिंग में हमें अपनी एनालिसिस और ट्रेडिंग प्लान पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन यह भी समझना चाहिए कि हर ट्रेड में लाभ होगा, यह जरूरी नहीं। हमें लगातार सही रणनीति अपनाते हुए निवेश/ ट्रेडिंग करते रहना चाहिए।
डर और लालच से बचाव (Avoid Fear & Greed)
श्लोक:
द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन् दैव आसुर एव च।
दैवो विस्तरशः प्रोक्त आसुरं पार्थ मे शृणु॥
(भगवद्गीता 16.6)
अर्थ:
हे अर्जुन! इस संसार में दो प्रकार के स्वभाव होते हैं – दैवीय (सतोगुणी) और आसुरी (तमोगुणी)। दैवीय स्वभाव संयम, धैर्य और अनुशासन को अपनाता है, जबकि आसुरी स्वभाव लालच, भय और अधीरता को बढ़ाता है।
स्टॉक मार्केट में सीख:
अधीक की लालच (Greed) और डर (Fear) स्टॉक मार्केट में असफलता का कारण बन सकते हैं। हमें हमेशा एक अनुशासित निवेशक या ट्रेडर की तरह सोचना चाहिए और अपने फैसले जल्दबाजी में नहीं लेने चाहिए।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण (Long-Term Vision)
श्लोक:
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
(भगवद्गीता 9.22)
अर्थ:
जो व्यक्ति अनन्य भाव से मेरा चिंतन करते हैं और मुझमें स्थित रहते हैं, उनके योग (जो उनके पास नहीं है, उसे पाने) और क्षेम (जो उनके पास है, उसकी रक्षा) का दायित्व मैं लेता हूँ।
स्टॉक मार्केट में सीख:
यदि हम दीर्घकालिक निवेशक के रूप में अच्छी कंपनियों / शेयर्स में निवेश करते हैं और धैर्य रखते हैं, तो हमें स्थिर और सुरक्षित लाभ प्राप्त होता है। बाजार में धैर्य रखने वाले निवेशक हमेशा सफलता प्राप्त करते हैं।
ज्ञान और समझ का महत्व (Importance of Knowledge & Understanding)
श्लोक:
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
तत्स्वयं योगसं सिद्धः कालेनात्मनि विन्दति॥
(भगवद्गीता 4.38)
अर्थ:
इस संसार में ज्ञान से बढ़कर पवित्र कुछ भी नहीं है। जो योग में सिद्ध हो जाता है, वह कालांतर में स्वयं इस ज्ञान को अपने भीतर अनुभव कर लेता है।
स्टॉक मार्केट में सीख:
शेयर बाजार में ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण है,हमें फंडामेंटल विश्लेषण (Fundamental Analysis) , तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis),और बाजार की स्थिति को समझने के लिए अभ्यास करना चाहिए। अनुभव के साथ हम बेहतर निवेशक/ ट्रेडर बन सकते हैं।
कम जोखिम, अधिक संभावना = सीमित मुनाफा
अधिक जोखिम, कम संभावना = बड़ा मुनाफा (या बड़ा नुकसान)
अधिकतर लोग दूसरे विकल्प को चुनते हैं और अंततः अपने पैसे गंवा बैठते हैं। लेकिन एक समझदार और अनुभवी ट्रेडर हमेशा पहले विकल्प को अपनाता है—छोटे लेकिन लगातार मुनाफे कमाता है और लंबे समय तक सफलता हासिल करता है।
यदि आप प्रायिकता (Probability) की इस कला को समझ लेते हैं, तो शेयर बाजार में कामयाबी आपकी पहुँच से दूर नहीं रहेगी!
निष्कर्ष (Conclusion)
Bhagavad Gita केवल आध्यात्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि जीवन और व्यापार के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करने वाला ग्रंथ है। स्टॉक मार्केट में सफलता के लिए धैर्य, अनुशासन, सही ज्ञान और दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखना आवश्यक है। यदि हम गीता के उपदेशों का पालन करें, तो ट्रेडिंग और निवेश में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
“संतुलन ही सबसे बड़ी कुंजी है। न अधिक उत्साह, न अधिक भय – बस एक स्थिर दृष्टिकोण!”
राधे राधे
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