कॉल & पुट ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होता है ?
- कॉल & पुट ट्रेडर्स को बाज़ार की दिशा के अनुसार मुनाफा कमाने में मदद करते हैं। और इस ट्रेडिंग में सबसे कम कैपिटल लगता है , इसलिए यह प्रकार बहुत फेमस है लेकिन यह दिखता है उतना आसान नहीं है , इसमें ऑप्शन ग्रीक्स को आपको समज़ना बहुत जरुरी है |
- कॉल ऑप्शन खरीदने का मतलब है कि आपको उम्मीद है कि किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत बढ़ेगी। अगर प्राइस बढ़ता है, तो आप मुनाफा कमाते हैं।
- पुट ऑप्शन खरीदने का मतलब है कि आपको उम्मीद है कि किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत गिरेगी। अगर प्राइस गिरता है, तो आप मुनाफा कमाते हैं।दने का मतलब है कि आपको उम्मीद है कि किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत गिरेगी। अगर प्राइस गिरता है, तो आप मुनाफा कमाते हैं।
- एक साथ कॉल और पुट खरीदने को हेजिंग (Hedging) नहीं कहते,
कॉल & पुट ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रॉफिट करने के लिए सबसे जरुरी क्या है ?
स्टॉक या फिर इंडेक्स में मूवमेंट होना बहुत जरुरी है , तभी कॉल & पुट के प्राइस बढ़ते है , अगर मोवेमेंट बहुत कम है यानी मार्केट नो ट्रेंड में है तो समय के साथ इनकी प्राइस कम होती है इसे थीटा इफ़ेक्ट (Time Decay) कहते है ,
इसलिए आपको मार्केट या स्टॉक का ट्रेंड पता होना बहुत जरुरी है ,इसलिए हमेशा ट्रेंडिंग स्टॉक चुने और इंडेक्स में ट्रेड कर रहे हो तो मोवेमेंट आने का इंतजार करे
एक साथ कॉल और पुट खरीदने से फायदा या नुकसान? पूरी गाइड!
यहाँ पर कॉल और पुट एक साथ खरीदने का मतलब होता है की आपको मार्केट या स्टॉक के ट्रेंड पता नहीं है, या अभी ट्रेंड कन्फर्म नहीं है , कॉल और पुट एक साथ खरीदने से कब फायदा होगा या फिर कब खरीदना चाहिए यह समझते है।
बाजार की बड़ी मूवमेंट से फायदा ,अगर स्टॉक या इंडेक्स में तेज़ी या गिरावट आती है, तो एक ऑप्शन भारी मुनाफा देगा, भले ही दूसरा लॉस में जाए।
न्यूज़ इवेंट्स के लिए बेस्ट: बड़े इवेंट्स (बजट, रिजल्ट, RBI पॉलिसी) के दौरान इस स्ट्रेटेजी से अच्छा प्रॉफिट हो सकता है। विदेशी इवेंट्स (US Fed Rate, क्रूड ऑयल प्राइस, जियोपॉलिटिकल टेंशन) भी भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे इंडेक्स और स्टॉक्स में भारी उतार-चढ़ाव आता है।
एक्सपायरी डे ट्रेडिंग – इस दिन कॉल और पुट दोनों का प्रीमियम बहुत सस्ता होता है , और अचानक से किसी एक डायरेक्शन में अगर मोवेमेंट आती है , तो ऑप्शन बायर को अच्छा मुनाफा मिलता है , बैंक निफ्टी और सेंसेक्स जैसे इंडेक्स में अक्सर अचानक बड़ी चाल आती है, जिससे ऑप्शन बायर्स को फायदा होता है।
सही एंट्री और रिस्क मैनेजमेंट जरूरी: किसी भी बड़ी मूवमेंट का फायदा उठाने के लिए सही एंट्री पॉइंट चुनना और स्टॉप लॉस सेट करना बहुत जरूरी है, ताकि लॉस को कंट्रोल किया जा सके।
लेकिन ऐसे समय पर भी पुरे कैपिटल एक ही ट्रेड पर न लगाए क्यू की बजट 2024 , 2023 के समय ज्यादातर ट्रेडर इसी उम्मीद से बैठे थे लेकिन मार्केट साइड वेज़ रहा और कॉल और पुट खरीदने वालो का काफी नुकसान हुवा।
बड़ी मूवमेंट के बावजूद पूरे कैपिटल का उपयोग न करें – रिस्क मैनेजमेंट जरूरी!
कई ट्रेडर्स बड़ी न्यूज़ इवेंट्स (जैसे बजट 2023, 2024) के दौरान भारी मुनाफे की उम्मीद में कॉल और पुट ऑप्शन खरीदते हैं। लेकिन अगर बाज़ार अपेक्षित मूवमेंट नहीं करता (साइडवेज़ रहता है), तो ऑप्शन बायर्स को भारी नुकसान हो सकता है।
1️⃣ गलतफहमी: बड़ी न्यूज़ = बड़ी मूवमेंट?
- हर न्यूज़ इवेंट पर मार्केट में तेज़ी या गिरावट नहीं आती।
- कई बार बजट, RBI पॉलिसी, या अन्य इवेंट्स पर मार्केट साइडवेज़ (Range-bound) रह सकता है, जिससे ऑप्शन प्रीमियम धीरे-धीरे घटता जाता है (Time Decay)।
- 2023 और 2024 के बजट के दौरान, अधिकतर ट्रेडर्स ने भारी मूवमेंट की उम्मीद की थी, लेकिन मार्केट सीमित दायरे में ही रहा, जिससे कॉल और पुट दोनों में पैसा डूब गया।
2️⃣ रिस्क मैनेजमेंट: एक ही ट्रेड में पूरा कैपिटल न लगाएं!
- किसी भी एक ट्रेड में अपने पूरे फंड का निवेश न करें, क्योंकि अगर बाज़ार आपकी उम्मीद के मुताबिक नहीं चला, तो नुकसान बहुत बड़ा हो सकता है।
- स्टेप-बाय-स्टेप निवेश करें: अगर कोई बड़ी मूवमेंट दिखे, तो छोटे हिस्सों में ट्रेड करें और धीरे-धीरे पोजीशन बनाएं।
- स्टॉप-लॉस सेट करें: ताकि अगर बाज़ार साइडवेज़ चला जाए, तो नुकसान को सीमित किया जा सके।
3️⃣ ऑप्शन बायर्स के लिए सबसे बड़ा रिस्क – “टाइम डिके” (Time Decay)
- न्यूज़ इवेंट्स से पहले ऑप्शन का प्रीमियम महंगा होता है, क्योंकि बाजार में अस्थिरता (Volatility) बढ़ जाती है।
- अगर इवेंट के बाद बाजार में कोई खास मूवमेंट नहीं हुआ, तो प्रीमियम तेजी से घटने लगता है (Theta Decay), जिससे ऑप्शन बायर्स का भारी नुकसान होता है।
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इसलिए, अगर न्यूज़ इवेंट पर ट्रेड करना हो, तो एग्रेसिव नहीं, बल्कि रणनीतिक तरीके से ट्रेड करें।

ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) #tradingdemand
Q1: ऑप्शन ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा रिस्क क्या होता है?
A: सबसे बड़ा रिस्क टाइम डिके (Theta Decay) होता है, जिससे ऑप्शन प्रीमियम कम हो जाता है। एक्सपायरी के दिन यह और भी तेजी से होता है
Q2: क्या ऑप्शन ट्रेडिंग में कम पूंजी से ज्यादा मुनाफा हो सकता है?
A: हां, लेकिन इसके लिए सही एंट्री, सही स्ट्रेटेजी और रिस्क मैनेजमेंट जरूरी है। नये ट्रेड्स के लिए ज्यादा मुश्किल होता है
Q3: ऑप्शन ग्रीक्स क्यों जरूरी हैं?
A: ऑप्शन ग्रीक्स से पता चलता है कि मार्केट मूवमेंट, समय और वोलैटिलिटी का ऑप्शन प्रीमियम पर क्या असर पड़ेगा। स्ट्राइक प्राइस सिलेक्शन में फायदा होता है।
Q4: ऑप्शन ट्रेडिंग में न्यूज़ इवेंट्स कैसे असर डालते हैं?
A: न्यूज़ इवेंट्स वोलैटिलिटी बढ़ा सकते हैं, जिससे ऑप्शन के प्रीमियम में तेजी से बदलाव आ सकता है।
Q5: क्या ऑप्शन ट्रेडिंग में बिना गहरी जानकारी के सफलता संभव है?
A: नहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में सफलता के लिए ज्ञान, अनुभव और सही रणनीति की जरूरत होती है। सबसे जरुरी ट्रेडिंग मनोविज्ञान आपको अपनी भावनावो पर कंट्रोल होना चाहिए ( लालच और भय )
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