- यह ट्रेडिंग स्ट्रेटर्जी हमने खासकर निफ़्टी के लिए बनाई है ,और हम खुद इस स्ट्रेटर्जी का उपयोग करते है , Nifty में 9:30 AM के आसपास संभावित रिवर्सल को पकड़ने पर केंद्रित है और यह ट्रेडिंग सेटअप में 15-मिनट का टाइम फ्रेम का उपयोग किया जाता है।
- यह सेटअप प्राइस एक्शन और मार्केट स्ट्रक्चर पर निर्भर करता है, विशेष रूप से सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल के पास यह सेटअप बनता है।
- यह ट्रेंड रिवर्सल स्ट्रेटर्जी है ,आमतौर पर साप्ताहिक (weekly) या मासिक (monthly) ट्रेंड के रिवर्सल के दौरान ऐसा सेटअप बनता है, और साइडवेज मार्केट में प्रभावी नहीं होती है ।
9:30 Best Option Buying Strategy for Nifty
1.Key Levels पर फॉर्मेशन
- यह सेटअप आमतौर पर प्रमुख सपोर्ट या रेजिस्टेंस ज़ोन पर बनता है।
- यदि मार्केट ऊपर की ओर रिवर्स हो रहा है, तो सेटअप सपोर्ट के पास बनेगा।
- यदि मार्केट नीचे की ओर रिवर्स हो रहा है, तो सेटअप रेजिस्टेंस के पास बनेगा।
2.पहली कैंडल का व्यवहार:
- 9:15 AM की पहली कैंडल आमतौर पर ट्रेंड के विपरीत होती है।
- यदि मार्केट सपोर्ट से रिवर्स हो रहा है, तो पहली कैंडल आमतौर पर बियरिश या इंडेसीसिव (indecisive) होगी।
- यदि मार्केट रेजिस्टेंस से रिवर्स हो रहा है, तो पहली कैंडल आमतौर पर बुलिश या इंडेसीसिव होगी।
- कभी-कभी पहली कैंडल हैमर (hammer) होती है, जिसका कलर ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है।
3. सेटअप कब बनता है ?
- यह सेटअप हर दिन नहीं बनता, लेकिन बहुत दुर्लभ भी नहीं है।
- यह सेटअप तभी प्रभावी होता है जब मार्केट में क्लियर ट्रेंड हो (साप्ताहिक/मासिक), न कि साइडवेज मार्केट में।
4.एंट्री और एक्जीक्यूशन:
- आदर्श एंट्री 15 मिनट की पहली कैंडल क्लोज होने के बाद ट्रेड ले सकते है , पहले कैंडल के low पर ध्यान रखे
- यदि एंट्री छूट जाए ? 9:30 AM पर एंट्री मिस हो जाती है, तो छोटे रिट्रेसमेंट का इंतजार करें और फिर एंट्री लें।
- कॉन्ट्रा ट्रेड से बचें: यदि मार्केट ने रिवर्सल के बाद ट्रेंड बनाना शुरू कर दिया है, तो कॉन्ट्रा ट्रेड न लें। मार्केट पूरे सेशन में उसी ट्रेंड में रहने की संभावना रखता है।
इस स्ट्रेटर्जी को कैसे लागू करें? ( How to Implement Trading Steup)
Step 1: मार्केट ट्रेंड की पहचान करें
- साप्ताहिक/मासिक ट्रेंड को एनालाइज करें।
- देखें कि मार्केट किसी मजबूत सपोर्ट या रेजिस्टेंस ज़ोन पर है या नहीं।
Step 2: 9:15 AM कैंडल को ऑब्जर्व करें
- पहली 15-मिनट की कैंडल (9:15 – 9:30 AM) को देखें।
- यदि मार्केट सपोर्ट पर है, तो बियरिश या इंडेसीसिव कैंडल बन सकती है।
- यदि मार्केट रेजिस्टेंस पर है, तो बुलिश या इंडेसीसिव कैंडल बन सकती है।
- यदि कैंडल हैमर (hammer) है, तो रिवर्सल की संभावना बढ़ जाती है।
Step 3: 9:30 AM पर एंट्री लें या रिट्रेसमेंट का इंतजार करें
- यदि 9:30 AM कैंडल रिवर्सल को कन्फर्म करती है, तो रिवर्सल के डायरेक्शन में एंट्री लें।
- यदि एंट्री छूट जाए, तो छोटे रिट्रेसमेंट का इंतजार करें और फिर एंट्री लें।
Step 4: एग्जिट स्ट्रेटेजी
- स्टॉप-लॉस (SL): सपोर्ट के नीचे (बाय ट्रेड के लिए) या रेजिस्टेंस के ऊपर (सेल ट्रेड के लिए) सेट करें।
- प्रॉफिट बुकिंग: 1:3 या 1:4 रिस्क-रिवार्ड रेशियो पर पार्टियल प्रॉफिट बुक करें और Stoploss को ट्रेल करें।
बियरिश रिवर्सल ट्रेडिंग सेटअप (Nifty Bearish Reversal Trading Setup)
- मार्केट डाउनट्रेंड में था लेकिन साप्ताहिक सपोर्ट लेवल पर पहुंच गया।
- 9:15 AM पर बियरिश कैंडल बनी।
- 9:30 AM पर बुलिश कैंडल ने 9:15 AM की कैंडल को ब्रेक किया।
- एंट्री: 9:30 AM कैंडल के हाई के ऊपर बाय करें।
- स्टॉप-लॉस: सपोर्ट लेवल के नीचे।
- टारगेट: 1:2 या 1:3 रिस्क-रिवार्ड तक प्रॉफिट बुक करें।
बुलिश रिवर्सल ट्रेडिंग सेटअप (Nifty Bullish Reversal Trading Setup)
- मार्केट अपट्रेंड में था लेकिन साप्ताहिक रेजिस्टेंस लेवल पर पहुंच गया।
- 9:15 AM पर बुलिश कैंडल बनी।
- 9:30 AM पर बियरिश कैंडल ने 9:15 AM की कैंडल को ब्रेक किया।
- एंट्री: 9:30 AM कैंडल के लो के नीचे सेल करें।
- स्टॉप-लॉस: रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर।
- टारगेट: 1:3 या 1:4 रिस्क-रिवार्ड तक प्रॉफिट बुक करें।
अंतिम विचार
✅ यह रणनीति ट्रेंडिंग मार्केट में सबसे अच्छा काम करती है।
✅ सही सेटअप के लिए धैर्य और अनुशासन आवश्यक है।
✅ साइडवेज मार्केट में इस रणनीति को न अपनाएं, क्योंकि पैटर्न विश्वसनीय नहीं रहेगा।
✅ एक बार रिवर्सल कन्फर्म हो जाए, तो नए ट्रेंड के खिलाफ ट्रेड न करें।
यदि सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह एक हाई-प्रॉबेबिलिटी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। यदी आपके कोई सवाल है तो whatsapp Group पर जुड़े , वहा आप अपने सवाल पूछ सकते है