- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 फरवरी को वाशिंगटन डीसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की, और अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की
- अमेरिका से चीन के आयात होने वाली कुछ चीजों पर टैरिफ यानी कर बढ़ाने की बात पर चीन ने भी अमेरिका से आने वाले कुछ सामानों पर नए टैरिफ (कर) लगाए और कई अमेरिकी पीवीएच कॉर्प सहित कुछ अन्य अमेरिकी कंपनियों, जिनमें गूगल प्रतिबंधों की चेतावनी दी
- ट्रंप के शपथ ग्रहण के अगले ही दिन हुई अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के समूह (क्वाड) की बैठक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए महत्वपूर्ण होगी
- ट्रंप ने चीन पर सख्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है, लेकीन ट्रंप ने भारत को “टैरिफ किंग” कहा है और भारतीय उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।
ट्रंप के चीन पर टैरिफ़ से भारत को कैसे फायदा हो सकता है?
अमेरिका द्वारा चीन के उत्पादों पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ़) से वैश्विक व्यापार प्रभावित हो रहा है। इस स्थिति में भारत को कई तरह से लाभ मिल सकता है।
1. व्यापारिक अवसर
- चीन के उत्पाद महंगे होने से अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा घटेगी।
- भारतीय उत्पादों जैसे टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान की मांग बढ़ सकती है।
- भारतीय निर्यातकों को अमेरिका में नए बाजार मिलने की संभावना बढ़ेगी।
2. निवेश का विस्थापन
- उत्पादन लागत बढ़ने से कई विदेशी कंपनियां चीन से अपना निवेश हटाने पर विचार कर रही हैं।
- भारत में सस्ती श्रम शक्ति और बड़ा बाजार होने के कारण निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक विकल्प बन सकता है।
- इससे भारत में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
3. विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा
- ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं को मजबूती मिलेगी।
- चीन पर निर्भरता कम करने के लिए कंपनियां भारत में नए कारखाने और उत्पादन केंद्र खोल सकती हैं।
- इससे स्थानीय उद्योगों और छोटे व्यापारियों को भी फायदा होगा।
4. रणनीतिक लाभ
- अमेरिका-चीन के बीच तनाव में भारत की भू-आर्थिक और व्यापारिक भूमिका अहम हो सकती है।
- भारत और अमेरिका के व्यापारिक और रणनीतिक संबंध और मजबूत हो सकते हैं।
- डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए उच्च टैरिफ़ के परिणामस्वरूप वैश्विक कंपनियां अपनी उत्पादन इकाइयों को चीन से बाहर स्थानांतरित करने के विकल्प तलाश रही हैं, जिससे भारत एक आकर्षक गंतव्य बन सकता है, जहां सरकार की व्यापार-अनुकूल नीतियां, सस्ती श्रम शक्ति, बढ़ती उपभोक्ता मांग और बुनियादी ढांचे के विकास से प्रेरित होकर नवीनतम तकनीकों और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के आगमन की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
चुनौतियां
- ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ़ के परिणामस्वरूप वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) में गंभीर रुकावटें उत्पन्न हो सकती हैं, क्योंकि कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पादन और कच्चे माल की आपूर्ति के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं, जिससे न केवल विनिर्माण लागत में वृद्धि होगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन भी प्रभावित हो सकता है, जिसके चलते विभिन्न देशों को वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तलाश करनी पड़ेगी और इससे भारत जैसे विकासशील देशों के लिए नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
- ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ़ के परिणामस्वरूप आयातित वस्तुओं की लागत बढ़ सकती है, जिससे उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव पड़ेगा, जिससे अंततः उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी और बाजार में महंगाई (Inflation) बढ़ने की संभावना उत्पन्न हो सकती है।
निष्कर्ष
अमेरिका टेरिफ पॉलिसी से चीन और अमेरिका व्यापार तनाव बढ़ सकता है , और इसके चलते कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी इन्वेस्मेंट को चीन से बाहर स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं। भारत, अपनी विशाल बाजार, सस्ती श्रम शक्ति, और सुधारित व्यापार नीतियों के कारण, इन निवेशों को आकर्षित करने के लिए एक प्रमुख दावेदार बन सकता है। भारत ट्रंप की टैरिफ़ नीति का लाभ उठा सकता है। अगर भारत सही नीतियों और रणनीतियों को अपनाता है, तो वह इस मौके का पूरा फायदा उठा सकता है और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है।
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