सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) की कमियां

मार्केट टाइमिंग रिस्क – SIP फिक्स्ड अंतराल पर निवेश करता है, जिससे मार्केट के लो लेवल्स का पूरा फायदा नहीं मिल पाता, जैसा कि एक सही समय पर किए गए Lump Sum Investment से हो सकता है।

SIP का Rupee Cost Averaging तब कम प्रभावी हो सकता है जब मार्केट लगातार ऊपर जा रहा हो, क्योंकि निवेशक उच्च कीमतों पर इकाइयाँ खरीदते हैं।

लगातार बढ़ते मार्केट में नुकसान

  SIP से अच्छा रिटर्न पाने के लिए धैर्य और अनुशासन जरूरी है। यदि निवेशक शॉर्ट-टर्म में बड़ा लाभ चाहते हैं, तो SIP कम आकर्षक हो सकता है।

लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट

 अगर मार्केट लंबे समय तक डाउनट्रेंड में रहता है, तो SIP की गई राशि भी नुकसान में जा सकती है और रिकवरी में ज्यादा समय लग सकता है।

कम अवधि में नुकसान का जोखिम

 SIP के तहत आने वाले म्यूचुअल फंड्स Expense Ratio, Management Fees, और Exit Load चार्ज कर सकते हैं, जिससे वास्तविक रिटर्न पर असर पड़ सकता है।

उच्च शुल्क और लागत

ऑटोमेटिक निवेश होने से निवेशक लापरवाह हो सकते हैं और अपने फंड की परफॉर्मेंस को समय-समय पर रिव्यू करना भूल सकते हैं।

साइकोलॉजिकल फैक्टर

SIP में निवेश की राशि आमतौर पर फिक्स होती है, जिससे इसे मार्केट के अनुसार डायनामिक एडजस्ट करना कठिन हो जाता है।

इन्वेस्टमेंट राशि की सीमाएं

 SIP का लाभ तभी मिलता है जब सही म्यूचुअल फंड चुना जाए। गलत फंड में निवेश करने से उम्मीद के अनुसार रिटर्न नहीं मिल सकता।

फंड परफॉर्मेंस पर निर्भरता

 कुछ फंड्स में जल्द निकासी पर  Exit Load लगता है, जिससे जरूरत पड़ने पर पैसा निकालने पर नुकसान हो सकता है।

लिक्विडिटी रिस्क