.ट्रेडर का सबसे बड़ा दुश्मन उसका खुद का डर, लालच और भावनात्मक असंतुलन होता है – इसे पहचानना ज़रूरी है।
शेयर मार्केट ट्रेडिंग में कन्फर्म ऐसा कुछ नहीं होता ,इसलिए प्रोबैबिलिटी की सोच से ही सफलता मिलती है।
प्रोफेशनल ट्रेडर प्रोसेस पर ध्यान देता है, न कि रिजल्ट ( प्रॉफिट / लॉस ) पर यही असली डिसिप्लिन है।
हर ट्रेड नया और अलग घटना होती है – पिछली हार या जीत को अगले ट्रेड के निर्णय पर हावी न होने दें।
ट्रेडिंग में नुकसान से डरने की बजाय, उसे एक लर्निंग का अवसर मानें और नये ट्रेड पर ध्यान दे – तभी आप आगे बढ़ पाएंगे।
हर ट्रेडर की अपनी ट्रेडिंग एज (edge) होती है उस पर विश्वास रखें – यह आपको लॉन्ग टर्म में ट्रेडिंग में सफल बनाएगा।
मार्केट को बदलने की कोशिश न करें – खुद को बदलें, सोच को अनुशासित बनाएं। और मार्केट के अनुसार चले आप जरूर सफल ट्रेडर बनेंगे
ट्रेडिंग में कंट्रोल की बजाय प्रक्रिया अपनाना ज़रूरी है – नियंत्रण की लालसा से भ्रम पैदा होता है।
मन की स्थिरता ही एक सफल ट्रेडर की असली पहचान होती है – अभ्यास से इसे पाया जा सकता है।