रॉबर्ट कियोसाकी का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है, महंगाई बढ़ रही है और डॉलर का मूल्य गिर रहा है।
उनका कहना है कि असली समस्या बिटकॉइन नहीं है, बल्कि अमेरिका की मौद्रिक व्यवस्था (Monetary System) और बैंकिंग सिस्टम है।
अमेरिका डॉलर छापकर अपने कर्ज को चुकाने की कोशिश कर रहा है। चीन और जापान जैसे देश, जो पहले अमेरिका के बॉन्ड खरीदते थे, अब इसमें रुचि कम ले रहे हैं।
जब विदेशी निवेशक अमेरिकी बॉन्ड खरीदना बंद कर देंगे, तो डॉलर की वैल्यू गिर सकती है और महंगाई (Inflation) तेजी से बढ़ सकती है।
रॉबर्ट कियोसाकी का मानना है कि बिटकॉइन एक "सच्चे मूल्य" वाली मुद्रा है, जबकि अमेरिकी डॉलर और अन्य फिएट करेंसीज़ (Fiat Currencies) फेक मनी हैं।
उनका कहना है कि नकली पैसा (फिएट करेंसी) धीरे-धीरे आपकी संपत्ति की वैल्यू को खत्म कर देता है, जबकि बिटकॉइन, सोना और चांदी असली संपत्ति हैं।
इसलिए जब बिटकॉइन की कीमत गिरती है, तो कियोसाकी इसे "SALE" यानी डिस्काउंट पर खरीदने का मौका मानते हैं।
बिटकॉइन की अधिकतम सप्लाई 21 मिलियन है, यानी इसे अनलिमिटेड नहीं छापा जा सकता। यह बैंकों और सरकार के नियंत्रण से बाहर है।
अगर बिटकॉइन गिरता है, तो वे इसे "बुरी खबर" नहीं मानते, बल्कि इसे खरीदने का सही मौका मानते हैं।
Smart Investors गिरावट पर खरीदते हैं और बिटकॉइन को "Digital Gold" मानते हैं।
High Interest Rates & Regulatory Pressure के कारण बिटकॉइन में अस्थिरता (Volatility) आई है।
Bitcoin, Gold & Silver सीमित सप्लाई वाले Hard Assets हैं, जो महंगाई के खिलाफ सुरक्षा देते हैं।