अमेरिकी डॉलर में गिरावट के मुख्य कारण
फेडरल रिजर्व की ब्याज दर कटौती से USD की मांग घटती है, जिससे इसकी वैल्यू गिरती है।
अमेरिका में 3% से अधिक महंगाई दर के कारन डॉलर की पैसे खर्च करने की क्षमता को कमजोर कर वैश्विक विश्वास कम करती है।
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अमेरिकी सरकार का कर्ज $34 ट्रिलियन तक पहुँच रहा है, जिससे डॉलर पर दबाव बढ़ रहा है।
GDP ग्रोथ 2% से नीचे आ रही है, और निवेशक उभरते बाजारों में पैसा शिफ्ट कर रहे हैं जैसे भारत
युद्ध, व्यापार प्रतिबंध और राजनीतिक अस्थिरता USD की सेफ-हेवन स्थिति को लगातार कमजोर कर रहे हैं।
USD
चीन, रूस और BRICS देश USD पर निर्भरता घटाकर 30% ट्रेड लोकल करेंसी में शिफ्ट कर रहे हैं।
यूरो और युआन 5% मजबूत हो रहे हैं, जिससे निवेशकों की रुचि डॉलर से हट रही है।
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अमेरिका का ट्रेड डेफिसिट $1 ट्रिलियन पार कर रहा है, जिससे नये डॉलर छापने पड़ रहे है
गोल्ड और क्रिप्टो में निवेश 15% बढ़ रहा है, जिससे डॉलर की स्थिति कमजोर होती जा रही है।
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