Learn Demand and Supply in stock market charts in Hindi | शेयर बाजार चार्ट पर डिमांड & सप्लाई झोन पूरी जानकारी 2025

स्टॉक या इंडेक्स के कैंडलस्टिक चार्ट पर डिमांड और सप्लाई एरिया या झोन देखने को मिलता है,इससे हमें खरीदार ( Buyer) और विक्रेता (seller) कहां सबसे अधिक सक्रिय हैं इसकी जानकारी मिलती है , डिमांड और सप्लाई झोन को आप सपोर्ट और रेसिस्टेन्स भी कह सकते है।

 डिमांड सप्लाई और प्राइस का सीधा संबंध क्या है ? 

Demand,Supply & Price Relation 

मांग (Demand) और आपूर्ति (Supply) को उदाहरण से समझते है।

COVID-19 महामारी के शुरुआती चरण में, फेस मास्क की मांग (Demand) में अचानक से वृद्धि हुई, जब सभी जगह मास्क की जरूरत बढ़ी, तो मार्केट में उनकी उपलब्धता (Supply) सीमित थी,जिसके चलते फेस मास्क के दाम तेजी से बढ़ गए थे।

कुछ समय बाद, कई उद्यमियों ने इस अवसर को पहचाना और फेस मास्क का निर्माण शुरू कर दिया,इससे मार्केट में मास्क की आपूर्ति (Supply) तेजी से बढ़ने लगा,जब Supply बढ़कर Demand से अधिक हो गई, तो मास्क के दाम में गिरावट आने लगी।

यह वही मूल आर्थिक सिद्धांत है जिसमें Demand अगर Supply से अधिक होने पर मूल्य (Price) बढ़ती है, इस स्थिति में जैसे-जैसे  Demand बढ़ी और Supply सीमित रही, दामों में उछाल आया। और बादमे सप्लाई बढ़ने पर कीमते कम होने लगी. यह सिद्धांत हर ट्रेडिंग होने वाले चीज पर लागु होता है।

यह उदाहरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कैसे Demand और Supply का संतुलन कीमतों पर असर डालता है।

शेयर बाजार में डिमांड और सप्लाई का सिद्धांत

Demand and Supply Principles in the Stock Market

स्टॉक मार्केट में भी यह सिद्धांत काम करता है, जब किसी कंपनी के बारेमे सकारात्मक खबरें आती हैं, जैसे कि प्रोफिट में बढ़ोतरी होना या महत्वपूर्ण ऑर्डर मिलना, तो उस कंपनी के शेयर्स बड़े इन्वेस्टर खरीदते है और शेयर्स की मांग (Demand) बढ़ने लगती है,और खरीदार बढ़ते दामों पर भी शेयर्स खरीदते है,जिसके कारण स्टॉक का Price बढ़ती है।

दूसरी ओर, यदि कंपनी के प्रॉफिट में गिरावट आती है, तो स्टॉक की मांग (Demand) कम हो जाती है, ऐसे में शेयर्स बेचने वालो की संख्या बढ़ती है , जब सप्लाई डिमांड से अधिक हो जाती है, तो स्टॉक का कीमतें गिरने लगती है।

जहांसे शेयर्स की कीमते बढ़ने लगी थी उसे डिमांड झोने कहते है , और जहांसे शेयर्स की कीमते निचे आती है उसे सप्लाई झोन कहते है।

शेयर बाजार में “इतिहास खुद को दोहराता है” यह सिद्धांत डिमांड और सप्लाई से भी जुड़ा है। जब किसी शेयर की डिमांड बढ़ती है, तो उसकी कीमत ऊपर जाती है, और जब सप्लाई ज्यादा होती है, तो कीमत नीचे आती है।

यह प्रक्रिया बार-बार होती है क्योंकि निवेशकों की सोच और भावनाएँ समय के साथ दोहराती हैं। जैसे ही पहले जैसी परिस्थितियाँ बनती हैं, वही डिमांड-सप्लाई का संतुलन फिर से दिखाई देता है, और बाजार में पुराने पैटर्न दोबारा नजर आने लगते हैं।

 Demand & Supply Zones की चार्ट पर पहचान कैसे करे ?  

चार्ट पर डिमांड और सप्लाई झोन की पहचान कैसे करें ?

Stock market trading में सफलता प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है, कि चार्ट पर ऐसे zones की पहचान की जाए जहाँ पर मांग यानी डिमांड बढ़ रही हो और साथ ही ऐसे zones की भी पहचान हो जहाँ Supply बढ़ रही हो।

डिमांड झोन  (Demand Zone ) – चार्ट पर जहा स्टॉक की प्राइस निचे जाने से रुकती है और यह दो या तीन बार होता है तो उसे डिमांड झोन कहा जाता है , यहाँ से स्टॉक की कीमत बढ़ने ही काफी सम्भावना होती है ( Buying opportunity ) , यानी ऐसी जगह पर बायर्स खरीदने के लिए आ रहे है ,
डिमांड झोन टाइम फ्रेम के अनुसार बदलती है , टाइम फ्रेम आपके ट्रेडिंग स्टाइल पर निर्भर होती है ।

सप्लाई झोन (Supply Zone) – चार्ट पर जहा स्टॉक की प्राइस ऊपर जाने से रुकती है , या वहा टकराकर वापस निचे की तरफ आती है ऐसे जगह को सप्लाई झोन कहा जाता है , यहाँ से स्टॉक की कीमत गिरने की काफी सम्भावना होती है , यानी ऐसी जगह पर सेलर्स या स्टॉक बेचने वाले एक्टिव होते है ,(selling opportunity ) सप्लाई झोन टाइम फ्रेम के अनुसार बदलती है।

 

Supply and Demand Zone Trading Strategy in Hindi

Demand Zone & Supply Zone ka Upyog kase kare

  • डिमांड झोन पर स्टॉक ख़रीदे और सप्लाई झोन के पास उसी स्टॉक को बेचकर प्रॉफिट बुक करे , सप्लाई झोन के पास आप स्टॉक को बेच सकते है और डिमांड झोन के पास उसे खरीदकर प्रॉफिट बुक कर सकते है, ट्रेडर्स को यह निर्णय लेने में मदद मिलती है कि कब Entry करनी है और कब Exit लेना है।
  • दोनों ही जगह आपको स्टॉपलॉस लगाना बहुत जरुरी है क्यू की अगर डिमांड झोन के पास आप खरीदते है और सेलिंग प्रेशर बढ़ने के कारन अगर स्टॉक की प्राइस और निचे जाती है तो कम से कम नुकसांन में आप ट्रेड सा बहार निकल सके , इसी तरह अगर आप सप्लाई झोन पर बेचते है और प्राइस को बाइंग प्रेशर बढ़ने के कारन ब्रेकआउट मिलता है तो आपको लोस बुक करना जरुरी है।
  • ट्रेडिंग में सही समय पर entry और exit लेने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि स्टॉक के price charts का बारिकी से विश्लेषण किया जाए। जब demand zones की पहचान होती है, तो ट्रेडर्स को खरीदारी (buying) का मौका मिलता है, और supply zones की पहचान होने पर बेचने (selling) का उचित समय सामने आता है।

Trading decisions लेते समय बाजार के बाहरी कारकों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि ये factors price movements को तीव्रता से प्रभावित कर सकते हैं।

 

Understanding Demand and Supply in Stock Market Charts
Understanding Demand and Supply in Stock Market Charts

 

शेयर बाजार में डिमांड जोन और सप्लाई जोन का क्या महत्व है?

शेयर बाजार में, डिमांड और सप्लाई जोन उन मूल्य स्तरों को दर्शाते हैं जहां शेयर की कीमत में उलटफेर (रिवर्सल) होने की संभावना होती है।

  • डिमांड जोन: यह वह क्षेत्र है जहां खरीदारी बढ़ने से कीमतें ऊपर जाने लगती हैं।
  • सप्लाई जोन: यह वह क्षेत्र है जहां बिकवाली बढ़ने से कीमतें नीचे आने लगती हैं।

 

डिमांड और सप्लाई झोन : ब्रेकडाउन और ब्रेकआउट की समझ

शेयर बाजार के चार्ट में डिमांड ज़ोन वह क्षेत्र होता है जहाँ पहले खरीदारी बढ़ी थी और कीमतें ऊपर गई थीं। जब किसी शेयर का प्राइस इस डिमांड ज़ोन को नीचे की ओर तोड़ता है, तो इसे ब्रेकडाउन कहा जाता है, जो यह संकेत देता है कि खरीदार अब उस स्तर पर सक्रिय नहीं हैं और कीमत और गिर सकती है।

DEMAND zone breakout on chart

वहीं, अगर डिमांड ज़ोन के ऊपर की रेंज को प्राइस ज़ोरदार तरीके से पार करता है, तो इसे ब्रेकआउट कहा जाता है, जो यह दर्शाता है कि डिमांड अब और मजबूत हुई है और प्राइस में तेजी आ सकती है। ट्रेडिंग में इन दोनों स्थितियों को समझना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यहीं से बड़े मूवमेंट की शुरुआत होती है।

Supply zone breakout on chart
Supply zone breakout on chart

 

स्टॉक प्राइस असर करने वाले बाहरी फॅक्टर – Importance of External Factors

स्टॉक मार्केट में मांग (Demand) और आपूर्ति (Supply) के परस्पर क्रियाओं को समझने के लिए बाहरी कारकों का विश्लेषण भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन कारकों में शामिल हैं:

  1. News और Announcements: किसी कंपनी से जुड़ी positive या negative news का सीधा असर उसके स्टॉक के price पर पड़ता है। अच्छी खबरें निवेशकों के बीच उत्साह बढ़ाती हैं, जबकि खराब खबरें बेचने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
  2. Earnings Reports: कंपनी के quarterly या annual financial performance की रिपोर्ट से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनी की आर्थिक स्थिति कैसी है। मजबूत earnings से demand (मांग) बढ़ती है और कमजोर earnings से demand में कमी आती है।
  3. Global Events: वैश्विक घटनाएँ जैसे geopolitical events, economic data, या global market trends भी स्टॉक मार्केट पर प्रभाव डालती हैं। इन घटनाओं से investor sentiment प्रभावित होता है, जो demand (मांग) और supply (आपूर्ति) के संतुलन को बदल सकता है।
  4. Government Policies: सरकार द्वारा लागू की जाने वाली नीतियाँ, नए regulations, tax policies, और industry-specific laws भी मार्केट की स्थितियों को प्रभावित करती हैं। इन कारकों से supply (आपूर्ति) और demand (मांग) दोनों पर असर पड़ता है, जिससे स्टॉक मार्केट की overall दिशा बदल सकती है।

 

निष्कर्ष

  • मांग (Demand) और आपूर्ति (Supply) के सिद्धांत आर्थिक जगत और stock market दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • मास्क के उदाहरण से यह सिद्ध होता है कि कैसे बाजार की मांग (Demand) और आपूर्ति (Supply) में बदलाव से मूल्य (Price) में उतार-चढ़ाव आता है।
  • Stock market में भी, सही समय पर news, earnings reports, global events, और government policies का विश्लेषण कर demand (मांग) और supply (आपूर्ति) के zones की पहचान करना ट्रेडर्स के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
  • इस तरह के विश्लेषण से न केवल ट्रेडिंग में संभावित लाभ बढ़ता है, बल्कि जोखिम को भी प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है।

 

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I’m a stock market trader with 8+ years of experience, specializing in chart analysis and trading psychology. I share my learnings in hindi to help others avoid common trading mistakes and build the right mindset for consistent profit.

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