सोना क्यू महंगा हो रहा है ? – ईरान-इसराइल के युद्ध‑भय ने सोने को बनाया और महंगा
विश्व बाजारों में खली अंतर दिखाई दे रहा है – खासकर सोने में। हाल ही में सोने की कीमतों ने $3,410–$3,444 के संकरे चैनल से मजबूत ब्रेकआउट दिया है, जो तकनीकी दृष्टि से न्यूट्रल‑बुलिश चैनल माना जाता था। यह ब्रेकआउट बड़े वॉल्यूम के साथ हुवा है
गोल्ड ब्रेकआउट का तकनीकी विश्लेषण
- चैनल ब्रेकआउट: सोना $3,410–$3,444 के बीच ट्रेंड कर रहा था। हाल में परिसंचारी मूवमेंट में ब्रेकआउट हुआ, जिससे यह चैनल टूट गया।
- बड़ा वॉल्यूम: ब्रेकआउट एक मजबूत बुलिश कैंडल से साबित हुआ, जिसे उच्च वॉल्यूम ने बल प्रदान किया।
- पोटेंशियल रिटेस्ट: अक्सर ब्रेकआउट के बाद मूल्य चैनल की ऊपरी सीमा (अब सपोर्ट) को एक बार रीटेस्ट करता है — जिसे अब खरीदारी के लिए उपयुक्त स्तर माना जा सकता है।
भू‑राजनीतिक भय — असली ड्राइवर
ब्रेकआउट सिर्फ चार्ट का खेल नहीं है, बल्कि इरान–इज़राइल संघर्ष की बढ़ती चिंताएं इसके मूल में हैं।
- सुरक्षा‑निवेश प्रवाह: जैसे-जैसे युद्ध की खबरें आती हैं, निवेशक पूंजी को बचाने के लिए सोने की ओर भागते हैं। Reuters के आंकड़ों के अनुसार, “इरान‑इज़राइल तनाव सुरक्षित‑आश्रय की मांग को बनाए रखेंगे” (m.economictimes.com)।
- मस्थक सहारा: Reuters की एक रिपोर्ट में बताया गया कि तेल वोलैटिलिटी धीमी थी, लेकिन सोना $3,381/oz पर था, जहां सुरक्षित निवेश की मांग ने इसे समर्थन दिया ।
- युद्ध खबरें: 13 जून को हुए इजरायली हमलों से सोने ने $3,428/oz की छलांग लगाई, 1.3% उछलकर—जिसे विशेषज्ञ यह कहते हुए जोड़ते हैं कि “इजरायल द्वारा ईरानी लक्ष्यों पर हमले ने बाजार में भू‑राजनीतिक डर पैदा कर दिया” ।
अमेरिकी मोनेटरी स्थिति का पुल – प्रभाव
सोने की मांग केवल युद्ध‑भय से नहीं, बल्कि फ़ेडरल रिज़र्व की नीति और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी से भी प्रेरित हो रही है।
- हाल की अमेरिकी मुद्रास्फीति रिपोर्टें धीमी हुईं, जिससे फेड की दिवास्वप्न (dovish) नीति की उम्मीद बढ़ी और सोने को फायदा मिला
- फेड जून की बैठक में दरों को स्थिर रख सकता है, लेकिन आगे कटौती की ओर इशारे से डॉलर कमजोर हुआ। यह सोने को सस्ता और आकर्षक बनाता है ।
युद्ध जन्य परिस्थिती से भारत में सोने के भाव पर सीधा असर
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें $3,400 से $3,450 प्रति औंस के आसपास बनी हुई हैं, जो कि अपने रिकॉर्ड हाई के करीब है। बाज़ार के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस्राइल-ईरान और अमेरिका का तनाव और फेडरल रिज़र्व की मौद्रिक नीतियाँ ऐसे ही बनी रहीं, तो सोना \$3,500 से लेकर \$3,700 प्रति औंस तक की नई ऊंचाइयों को छू सकता है
भारत में इसका सीधा असर घरेलू बाजार में देखने को मिला है। भारत के कई प्रमुख शहरों में सोमवार को 10 ग्राम सोने की कीमत ₹1,03,000 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, जो बाद में थोड़ी गिरावट के साथ ₹1,01,500 पर स्थिर हुई (timesofindia.indiatimes.com+1economictimes.indiatimes.com)।
अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतें डॉलर में होती हैं, और डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर है, इसलिए भारतीय बाजार में सोना ₹1 लाख के पार चला गया है।
इस बढ़ती कीमत का असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ा है। छोटे ज्वैलर्स के अनुसार, महंगे सोने की वजह से ग्राहकों की बुकिंग में करीब 40% तक की गिरावट आई है।
लोग वर्तमान में खरीदारी से बच रहे हैं, और कीमतों के स्थिर होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि जब तक भू-राजनीतिक तनाव बना रहेगा, तब तक सोने की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं और आम उपभोक्ता की खरीदारी पर असर पड़ता रहेगा। (m.economictimes.com, fxempire.com)।
भविष्य के संकेत
- मौलिक: युद्ध अगर और गहराया, और फेड कटौती का दबाव बना रहा, तो सोना $4,000/oz तक भी जा सकता है ।
निष्कर्ष – सोने की यह रोड मैप‐ब्रेकआउट इतर तेज तकनीकी मोड़ नहीं, बल्कि विश्व युद्ध‑भय + डॉलर कमजोरी + फेड नीति द्वारा समर्थित वृहद ट्रेंड का हिस्सा है।
- निवेशकों को ब्रेकआउट ज़ोन पर रिटेस्ट देखना चाहिए — यह पुनः प्रवेश का अच्छा अवसर हो सकता है।
- यदि वैश्विक तनाव बढ़े और आर्थिक संकेत कमजोर रहे, तो यह रैली लंबी चल सकती है।
- हालांकि, जैसे ही तनाव कम होगा या फेड बोली सक्ती जताएगा, मुनाफा लेने की संभावना बढ़ जाएगी।
READ FOR MORE INFORMATON