निफ्टी 50 और आईटी सेक्टर का संबंध:
- निफ्टी 50 में आईटी इंडेक्स शामिल है, जिसका मतलब है कि आईटी इंडेक्स का प्रदर्शन निफ्टी 50 पर असर डालता है।
- निफ्टी आईटी इंडेक्स भारतीय आईटी सेक्टर का मुख्य बेंचमार्क इंडेक्स है, जिसमें देश की टॉप 10 आईटी कंपनियाँ शामिल हैं।
आईटी सेक्टर का योगदान:
- यह सेक्टर भारत की GDP में बड़ा योगदान देता है।
- भारत में 50 लाख से ज़्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार और लाखों को अप्रत्यक्ष रोज़गार मुहैया कराता है।
वैश्विक प्रभाव:
- भारतीय आईटी कंपनियाँ अमेरिका और यूरोप जैसे बाज़ारों में अहम भूमिका निभाती हैं।
- इन कंपनियों का कुल रेवेन्यू का 55-60% हिस्सा विदेशी निर्यात (एक्सपोर्ट) से आता है।
Company | Weightage (%) |
Tata Consultancy Services Ltd (TCS) | 41.09 |
Infosys Ltd | 21.64 |
HCL Technologies Ltd | 13.24 |
Wipro Ltd | 8.19 |
LTIMindtree Ltd | 4.62 |
Tech Mahindra Ltd | 4.38 |
Persistent Systems Ltd | 2.52 |
Coforge Ltd | 1.53 |
Mphasis Ltd | 1.41 |
L&T Technology Services Ltd | 1.37 |
बढ़ती महंगाई और डॉलर की कमजोरी IT सेक्टर में गिरावट ला सकती है?
2025 में अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने के मुख्य कारण:
- ट्रेड पॉलिसीज़ और टैरिफ़:
राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में आयात पर भारी टैरिफ़ लगाए, जिससे दूसरे देशों के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ा। इन नीतियों का मकसद अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना था, लेकिन इससे वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल आई और डॉलर की कीमत पर दबाव पड़ा। - दूसरी मुद्राओं का मजबूत होना:
जर्मनी जैसे देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं चलाईं, जिससे यूरो जैसी मुद्राएँ मजबूत हुईं। निवेशकों ने डॉलर की जगह इन मुद्राओं में पैसा लगाया, जिससे डॉलर कमजोर हुआ। - महंगाई और ब्याज दरों का बढ़ना:
अमेरिका में महंगाई दर 2% से ऊपर बनी हुई है। इस वजह से फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) ने ब्याज दरें कम करने की रफ़्तार धीमी कर दी है। इससे आर्थिक विकास पर असर पड़ा और डॉलर की कमजोरी बढ़ी। - डॉलर पर कम निर्भरता:
BRICS देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) जैसे समूहों ने डॉलर के बजाय अपनी मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने की कोशिश की। ये कोशिशें पूरी तरह कामयाब नहीं हुईं, लेकिन डॉलर की वैश्विक मांग पर इसका हल्का असर ज़रूर पड़ा।
डॉलर की कमजोरी भारतीय आईटी सेक्टर के लिए एक चुनौती
1. कमाई पर असर (Revenue Impact):
- जब डॉलर कमजोर होता है, तो भारतीय रुपये (INR) के मुकाबले इसकी वैल्यू गिर जाती है।
- डॉलर कमजोर होने से आईटी कंपनियों को जो डॉलर में पैसा मिलता है, उसका मूल्य भारतीय रुपये में कम हो जाता है।
- इससे कंपनियों के कुल राजस्व (Total Revenue) और लाभ (Profit) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- भारतीय आईटी कंपनियां अपनी सेवाओं का अधिकांश निर्यात अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों को करती हैं।
2. सौदे बदलने का दबाव
अमेरिकी ग्राहक डॉलर की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए आईटी कंपनियों पर कीमतें कम करने का दबाव डाल सकते हैं। इससे कंपनियों को अपने पुराने अनुबंध (contracts) फिर से बदलने पड़ सकते हैं।
3. खर्च बढ़ सकता है
महंगाई बढ़ने और डॉलर की कमजोरी के कारण कंपनियों की ऑपरेटिंग लागत (जैसे कर्मचारी वेतन और सेवाओं का खर्च) बढ़ सकती है।
4. निवेश पर असर
डॉलर कमजोर होने से विदेशी निवेशक भारतीय आईटी कंपनियों में निवेश करने से बच सकते हैं। इससे नए प्रोजेक्ट और विस्तार की योजनाओ पर असर पड़ सकता है । डॉलर की कमजोरी के कारण अमेरिकी ग्राहकों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) पर असर पड़ता है।
कोविड के दौरान (2020-2021) और कोविड के बाद IT सेक्टर में तेजी का दौर
- कोविड के दौरान डिजिटलाइजेशन की मांग में भारी वृद्धि हुई।
- क्लाउड सर्विसेज, साइबर सिक्योरिटी, और वर्क फ्रॉम होम जैसी तकनीकों की आवश्यकता बढ़ने से IT कंपनियों को अप्रत्याशित लाभ मिला।
- अन्य सेक्टर की तुलना में IT सेक्टर की मांग ज्यादा रही, इसलिए इसका प्रदर्शन बाकी सेक्टरों से ज्यादा बढ़ा।
- Nifty IT इंडेक्स ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है,इस के कारन अभी IT इंडेक्स के स्टॉक्स में प्रॉफिट बुकिंग होने की संभावना दिख रही है।
COVID के बाद ब्रेकआउट (Breakout After COVID)
- COVID क्रैश के बाद बाजार में तेज़ उछाल आया था।
- 2020 के मध्य में, इंडेक्स ने एक मजबूत बुलिश ब्रेकआउट दिया और तेजी का दौर शुरू हुआ।
Importent Levels of nifty IT index
Major Resistance Zone -1
- रेजिस्टेंस ज़ोन 38,094.65 से 39,451.85 के बीच है।
- हाल ही में प्राइस ने इस स्तर को टेस्ट किया लेकिन इसे पार नहीं कर पाया, जिससे पता चलता है कि यहाँ बेचने का दबाव (selling pressure) अधिक है।
- यदि इंडेक्स फिर से ऊपर जाता है, तो यह क्षेत्र महत्वपूर्ण अवरोध (resistance) होगा।
Major Support Zone – 1
- सपोर्ट ज़ोन 31,541.10 से 33,290.50 के बीच स्थित है।
- यह क्षेत्र पहले भी मजबूत समर्थन (strong support) प्रदान कर चुका है और कीमत को नीचे गिरने से रोका है।
- यदि प्राइस गिरती है, तो यह ज़ोन अगला महत्वपूर्ण समर्थन (support level) होगा।
Major Support Zone – 2
- यह 25,337.90 से 27,500.00 के बीच है।
- यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक डिमांड ज़ोन (historical demand zone) है, जहाँ पहले तेज़ी (bullish rally) शुरू हुई थी।
- यदि प्राइस इस स्तर तक गिरती है, तो यहाँ खरीदारी (buying interest) आने की संभावना है।
NIFTY IT इंडेक्स अभी सुधार (correction) के दौर में है।
अगली चाल इस बात पर निर्भर करेगी कि प्राइस सपोर्ट ज़ोन – 1 पर बनी रहती है या इसे तोड़कर नीचे गिरती है।
ट्रेडर्स को इन महत्वपूर्ण स्तरों पर प्राइस एक्शन (price action confirmation) का इंतजार करना चाहिए।
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