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क्या डॉलर की कमजोरी आईटी सेक्टर को गिरा देगी?- निफ्टी IT के बड़े स्तरों पर नजर!”

Indian IT secor Challanges

निफ्टी 50 और आईटी सेक्टर का संबंध:

आईटी सेक्टर का योगदान:

वैश्विक प्रभाव:

 

Company

Weightage (%)

Tata Consultancy Services Ltd (TCS)

41.09

Infosys Ltd

 21.64

HCL Technologies Ltd

13.24

Wipro Ltd

8.19

LTIMindtree Ltd

4.62

Tech Mahindra Ltd

4.38

Persistent Systems Ltd

2.52

Coforge Ltd

1.53

Mphasis Ltd

1.41

L&T Technology Services Ltd

1.37

 

  बढ़ती महंगाई और डॉलर की कमजोरी IT सेक्टर में गिरावट ला सकती है?

2025 में अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने के मुख्य कारण:

  1. ट्रेड पॉलिसीज़ और टैरिफ़:
    राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में आयात पर भारी टैरिफ़ लगाए, जिससे दूसरे देशों के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ा। इन नीतियों का मकसद अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना था, लेकिन इससे वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल आई और डॉलर की कीमत पर दबाव पड़ा।
  2. दूसरी मुद्राओं का मजबूत होना:
    जर्मनी जैसे देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं चलाईं, जिससे यूरो जैसी मुद्राएँ मजबूत हुईं। निवेशकों ने डॉलर की जगह इन मुद्राओं में पैसा लगाया, जिससे डॉलर कमजोर हुआ।
  3. महंगाई और ब्याज दरों का बढ़ना:
    अमेरिका में महंगाई दर 2% से ऊपर बनी हुई है। इस वजह से फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) ने ब्याज दरें कम करने की रफ़्तार धीमी कर दी है। इससे आर्थिक विकास पर असर पड़ा और डॉलर की कमजोरी बढ़ी।
  4. डॉलर पर कम निर्भरता:
    BRICS देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) जैसे समूहों ने डॉलर के बजाय अपनी मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने की कोशिश की। ये कोशिशें पूरी तरह कामयाब नहीं हुईं, लेकिन डॉलर की वैश्विक मांग पर इसका हल्का असर ज़रूर पड़ा।

 

डॉलर की कमजोरी भारतीय आईटी सेक्टर के लिए एक चुनौती

 

1. कमाई पर असर (Revenue Impact):

2. सौदे बदलने का दबाव

अमेरिकी ग्राहक डॉलर की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए आईटी कंपनियों पर कीमतें कम करने का दबाव डाल सकते हैं। इससे कंपनियों को अपने पुराने अनुबंध (contracts) फिर से बदलने पड़ सकते हैं।

3. खर्च बढ़ सकता है

महंगाई बढ़ने और डॉलर की कमजोरी के कारण कंपनियों की ऑपरेटिंग लागत (जैसे कर्मचारी वेतन और सेवाओं का खर्च) बढ़ सकती है।

4. निवेश पर असर

डॉलर कमजोर होने से विदेशी निवेशक भारतीय आईटी कंपनियों में निवेश करने से बच सकते हैं। इससे नए प्रोजेक्ट और विस्तार की योजनाओ पर असर पड़ सकता है । डॉलर की कमजोरी के कारण अमेरिकी ग्राहकों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) पर असर पड़ता है।

 

डॉलर की कमजोरी भारतीय आईटी सेक्टर के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों है।

  • नुकसान: कमाई में गिरावट, ज्यादा खर्च, और प्रतिस्पर्धा में कमी।
  • फायदे: तकनीक खरीदना सस्ता हो सकता है और अन्य मुद्राओं से लाभ हो सकता है।

भारतीय आईटी कंपनियों को अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए सही रणनीति बनानी होगी, जैसे:

  • अनुबंधों में हेजिंग (Hedging) करना।
  • नए बाजारों में काम शुरू करना।
  • लागत कम करने पर ध्यान देना।

 

कोविड के दौरान (2020-2021) और कोविड के बाद IT सेक्टर में तेजी का दौर

 COVID के बाद ब्रेकआउट (Breakout After COVID)

 

Importent Levels of nifty IT index 

Major Resistance Zone -1 

Major Support Zone – 1

Major Support Zone – 2

NIFTY IT इंडेक्स अभी सुधार (correction) के दौर में है।
 अगली चाल इस बात पर निर्भर करेगी कि प्राइस सपोर्ट ज़ोन – 1 पर बनी रहती है या इसे तोड़कर नीचे गिरती है।
 ट्रेडर्स को इन महत्वपूर्ण स्तरों पर प्राइस एक्शन (price action confirmation) का इंतजार करना चाहिए।

 

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