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Nifty vs Gold कोन देगा ब्रेकआउट पूरी ट्रेंड एनालिसिस देखें

निफ्टी या गोल्ड ब्रेकआउट के लिए तैयार

निफ्टी या गोल्ड ब्रेकआउट के लिए तैयार

Nifty vs Gold – सोना (Gold) एक पारंपरिक निवेश विकल्प है, जिसे सुरक्षा और स्थिरता के लिए जाना जाता है। यह महंगाई(inflation) और आर्थिकअनिश्चितता (global crisis) ओं के समय में सुरक्षित आश्रय (Safe Haven asset) माना जाता है।

Nifty और Gold के ट्रेंड पर किस बातोंका असर पड़ता है ?

Nifty (NSE Nifty 50)


Gold (सोना)

गोल्ड और निफ्टी की विशेषताएँ

गोल्ड की खासियतें

निफ्टी 50 की विशेषताएँ

Nifty & Gold  क्या फरक है ?

 

Gold vs Nifty returns-परफॉर्मेंस तुलना

 

Nifty vs Gold One Month Trend Analysis

Nifty VS Gold – 1M comparision

 

छह महीने में कितने रिटर्न्स दिए ?

पिछले छह महीने में निफ्टी 50 ने +6.47% के रिटर्न्स दिए है
पिछले छह महीने में गोल्ड ने (मार्च 2025 ) +8.03% के रिटर्न्स दिए है

महत्वपूर्ण 

प्रमुख कारण

 

Nifty VS Gold – 6 M comparision

 

Nifty vs Gold six Month Trend Analysis

निफ्टी 50 में गिरावट:
8.76% की गिरावट, दर्शाता है कि पिछले 6 महीनों में इक्विटी बाजार दबाव में रहा।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, और संस्थागत निवेशकों की बिकवाली इसके पीछे कारण हो सकते हैं।
दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक निफ्टी ने निचले स्तर बनाए, लेकिन हाल ही में रिकवरी के संकेत दिखे हैं।

गोल्ड में शानदार तेजी:
+15.97% की बढ़त, दर्शाता है कि निवेशक सुरक्षित संपत्ति (Safe Haven) की ओर बढ़ रहे हैं।
वैश्विक मंदी की आशंका, महंगाई और ब्याज दरों में संभावित कटौती से सोने में निवेश बढ़ा, फरवरी 2025 के बाद से गोल्ड की तेजी और मजबूत हुई।

निफ्टी और गोल्ड का विपरीत संबंध
जब शेयर बाजार कमजोर होता है, तब निवेशक गोल्ड में पैसा लगाते हैं (सुरक्षित निवेश)।
निफ्टी में कमजोरी के दौरान सोने की कीमतों में तेज उछाल देखा गया, जो रिस्क-ऑफ सेंटीमेंट को दर्शाता है।

संभावित कारण:
वैश्विक अनिश्चितता – युद्ध, ब्याज दरों में अनिश्चितता, मंदी की आशंका।
मुद्रास्फीति और डॉलर इंडेक्स – डॉलर कमजोर होने से सोना महंगा हुआ।
RBI और फेडरल रिजर्व नीति – ब्याज दरों को लेकर अस्थिरता के कारण निवेशकों का झुकाव सोने की ओर बढ़ा।

निष्कर्ष:

 

Nifty vs Gold One Year Trend Analysis (मार्च 2024 – मार्च 2025)

Nifty VS Gold – 1 year comparision

 

एक साल में क्या दिया ?

पिछले एक साल में गोल्ड का शानदार प्रदर्शन37.80% की तेजी, सोने ने निफ्टी की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया।
पिछले एक साल में निफ्टी की सीमित बढ़त5.47% की वृद्धि, हालांकि बाजार अस्थिर रहा, लेकिन सालभर में पॉजिटिव बना रहा।

विपरीत ट्रेंड

 गोल्ड की तेजी के पीछे मुख्य कारण

मुद्रास्फीति (Inflation) – बढ़ती महंगाई ने सोने की मांग को बढ़ाया।
फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीतियाँ – ब्याज दरों में संभावित कटौती से सोने की कीमतों में उछाल आया।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता – मंदी की आशंका और बैंकिंग सेक्टर में संकट के कारण निवेशकों ने सुरक्षित संपत्ति के रूप में सोने को चुना।
डॉलर इंडेक्स और रुपये में उतार-चढ़ाव – डॉलर में गिरावट से सोने की कीमतों को सपोर्ट मिला।

 निफ्टी 50 के प्रदर्शन के पीछे कारण

भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती – जीडीपी ग्रोथ और कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन से बाजार को सपोर्ट मिला।
FII और DII निवेश प्रवाह – विदेशी और घरेलू निवेशकों ने भारतीय बाजार में निवेश बनाए रखा।
अस्थिरता और करेक्शन – दिसंबर 2024 से निफ्टी में करेक्शन देखा गया, लेकिन फरवरी 2025 से रिकवरी शुरू हुई।

 भविष्य की संभावनाएँ

 निष्कर्ष:

गोल्ड ने निफ्टी की तुलना में अधिक रिटर्न दिया और सुरक्षित निवेश का मजबूत विकल्प बना।
निफ्टी में उतार-चढ़ाव रहा, लेकिन लंबी अवधि में भारतीय इक्विटी बाजार मजबूत रह सकता है।
निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों एसेट क्लास में निवेश पर विचार करना चाहिए।

Gold price breakout analysis

गोल्ड प्राइज ब्रेकआउट के लिए तैयार

XAU/USD प्राइस एक्शन एनालिसिस

 

TREND ANALYSIS OF XAUUSD

 

महत्वपूर्ण ज़ोन और संभावित मूवमेंट
 सप्लाई ज़ोन (3065 – 3090) & बुलिश ट्रेंड:
गोल्ड इस ज़ोन के ऊपर बुलिश रहेगा।
अगर प्राइस इस ज़ोन को ब्रेकआउट करता है, तो पहला टारगेट:3255 – 3303
इसके बाद संभावित दूसरा टारगेट: 3760 – 3804

 नो-ट्रेडिंग ज़ोन (2890 – 2950):
यह एक अनिश्चितता वाला ज़ोन है।
यदि गोल्ड 2950 से नीचे जाता है, तो इसमें सेलिंग प्रेशर आ सकता है।

 मेजर सपोर्ट ज़ोन (2777 – 2750):
यह एक मजबूत सपोर्ट लेवल है, जहां से प्राइस बाउंस कर सकता है।
अगर यह सपोर्ट ब्रेक होता है, तो गोल्ड 2550 – 2535 तक गिर सकता है।

 संभावित मूवमेंट:
गोल्ड बुलिश रहेगा अगर 3090 के ऊपर कैंडल क्लोज़िंग होती है।
अगर 2950 के नीचे आता है, तो प्राइस 2890 और फिर 2777 के सपोर्ट की ओर जा सकता है।**
3750 – 3800 तक गोल्ड का लॉन्ग-टर्म टारगेट संभव, अगर सप्लाई ज़ोन ब्रेक होता है।**

निष्कर्ष
बुलिश साइड: 3090 से ऊपर लॉन्ग पोजीशन लेना फायदेमंद हो सकता है।
बेयरिश साइड: 2950 से नीचे सेलिंग प्रेशर बढ़ सकता है।
सपोर्ट-रेसिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिंग करना ज़रूरी है।

 

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