Nifty vs Gold कोन देगा ब्रेकआउट पूरी ट्रेंड एनालिसिस देखें

Nifty vs Gold – सोना (Gold) एक पारंपरिक निवेश विकल्प है, जिसे सुरक्षा और स्थिरता के लिए जाना जाता है। यह महंगाई(inflation) और आर्थिकअनिश्चितता (global crisis) ओं के समय में सुरक्षित आश्रय (Safe Haven asset) माना जाता है।

Nifty और Gold के ट्रेंड पर किस बातोंका असर पड़ता है ?

Nifty (NSE Nifty 50)

  • वैश्विक बाजार – Dow Jones, S&P 500, एशियाई बाजारों का प्रभाव।
  • FIIs और DIIs – विदेशी व घरेलू निवेशकों की खरीद-बिक्री।
  • आर्थिक डेटा – GDP, मुद्रास्फीति, IIP, बेरोजगारी दर।
  • RBI नीति – रेपो रेट, CRR, SLR में बदलाव।
  • रुपया-डॉलर विनिमय दर – मुद्रा की मजबूती या कमजोरी।
  • कच्चे तेल की कीमतें – तेल महंगा/सस्ता होने का असर।
  • तिमाही नतीजे – कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन का प्रभाव।
  • सरकारी नीतियाँ – बजट, आर्थिक सुधार, चुनाव परिणाम।
  • वैश्विक घटनाएँ – युद्ध, महामारी, वित्तीय संकट।

Gold (सोना)

  • डॉलर इंडेक्स (DXY) – डॉलर मजबूत = सोना सस्ता, डॉलर कमजोर = सोना महंगा।
  • फेडरल रिजर्व नीति – ब्याज दरें घटने पर सोना महंगा, बढ़ने पर सस्ता।
  • मुद्रास्फीति (Inflation) – महंगाई बढ़ी तो सोने की मांग बढ़ेगी।
  • ब्याज दरें – कम ब्याज दरें = गोल्ड में निवेश बढ़ता है।
  • आर्थिक अनिश्चितता – मंदी, बैंकिंग संकट में सोने की कीमत बढ़ती है।
  • सेंट्रल बैंक खरीद – केंद्रीय बैंक अधिक सोना खरीदें तो दाम बढ़ता है।
  • क्रिप्टो प्रभाव – क्रिप्टो गिरा तो सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं।
  • भू-राजनीतिक तनाव – युद्ध, ट्रेड वॉर से सोने में उछाल आता है।
  • रुपया-डॉलर विनिमय दर – रुपया कमजोर = सोना महंगा।

गोल्ड और निफ्टी की विशेषताएँ

गोल्ड की खासियतें

  • Limited Supply – दुनिया में इसकी मात्रा यानी सप्लाई लिमिटेड है , इसलिए इसकी कीमत यानी डिमांड ज्यादा रहती है।
  • Durability – यह ऐसा धातु है जिसे जंग नहीं लगता है , और यह सालोसाल खराब नहीं होता है।
  • Investment & SecurityGold bars, coins, ETFs और sovereign gold bonds के जरिए लोग निवेश करते हैं।
  • High Demand – दुनिया भर में गोल्ड की भारी मांग हमेशा रहती है इसे Jewelry, Electronics, टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में गोल्ड की भारी मांग है।
  • इसका उपयोग अंतरिक्ष अभियानों के लिए सहायक उपकरण बनाने में किया जाता है।
  • गोल्ड कमोडिटी मार्केट और फोरेक्स मार्केट ( XAU/USD) में ट्रेड होता है ।

निफ्टी 50 की विशेषताएँ

  • बाजार का बैरोमीटर – निफ्टी 50 में भारत के सबसे बड़े सेक्टर की बड़ी कंपनियां शामिल है , जो पुरे बाजार का बैरोमीटर है
  • 50 प्रमुख कंपनियाँ – यह इंडेक्स ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, आईटी, फार्मा, एनर्जी, और एफएमसीजी जैसे विभिन्न सेक्टर्स की टॉप कंपनियों को कवर करता है।
  • मार्केट कैप आधारित सिलेक्शन – इसमें शामिल कंपनियाँ उनके मार्केट कैप और लिक्विडिटी के आधार पर चुनी जाती हैं।
  • ETF और डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग – निफ्टी 50 पर आधारित एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) और फ्यूचर्स एवं ऑप्शंस (F&O) मार्केट में उपलब्ध हैं।
  • हर छह महीने में पुनरीक्षण (Rebalancing) – NSE हर छह महीने में निफ्टी 50 की कंपनियों की ऑडिट करता है और परफॉरमेंस के अद्धर पर आवश्यकतानुसार बदलाव करता है।

Nifty & Gold  क्या फरक है ?

  • जोखिम और अस्थिरता: निफ्टी 50 ज्यादा अस्थिर होता है, जबकि सोना स्थिरता प्रदान करता है।
  • रिटर्न: लम्बी अवधि में शेयर बाजार का रिटर्न अधिक होता है, जबकि सोना संपत्ति को सुरक्षित रखता है।
  • आपसी संबंध: आमतौर पर जब निफ्टी गिरता है, तो सोने की कीमतें बढ़ती हैं, जिससे यह पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

 

Gold vs Nifty returns-परफॉर्मेंस तुलना

 

Nifty vs Gold One Month Trend Analysis

Nifty VS Gold - 1M comparision
Nifty VS Gold – 1M comparision

 

छह महीने में कितने रिटर्न्स दिए ?

पिछले छह महीने में निफ्टी 50 ने +6.47% के रिटर्न्स दिए है
पिछले छह महीने में गोल्ड ने (मार्च 2025 ) +8.03% के रिटर्न्स दिए है

महत्वपूर्ण 

  • दोनों में बढ़त दर्ज – निफ्टी और गोल्ड दोनों ने पिछले महीने में सकारात्मक ट्रेंड दिखाया।
  • सोने का प्रदर्शन बेहतर – 8.03% की बढ़त के साथ गोल्ड ने निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन किया।
  •  सुरक्षित निवेश की ओर झुकाव – महंगाई, वैश्विक अनिश्चितताओं और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी के चलते सोने की मांग बढ़ी।
  • निफ्टी में मजबूती – निफ़्टी ने फिलहाल 22000 के पास सपोर्ट लेकर वापस तेजी दिखाई है , FII ने फिरसे भारतीय मार्किट में निवेश शुरू किया है ,और सकारात्मक आर्थिक संकेतों से शेयर बाजार में तेजी।

प्रमुख कारण

  • शेयर बाजार की मजबूती: भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार, विदेशी निवेशकों की भागीदारी।
  • गोल्ड में उछाल: महंगाई(inflation) की चिंता, अमेरिकी सरकार द्वारा लगाये गए टेरिफ ,फेड नीति और रूस ,यूक्रैन जैसी वैश्विक अस्थिरता के कारण निवेशकों का ट्रेंड।

 

Nifty VS Gold - 6 M comparision
Nifty VS Gold – 6 M comparision

 

Nifty vs Gold six Month Trend Analysis

  • 6 मंथ ट्रेंड रिजल्ट (अक्टूबर 2024 – मार्च 2025)
  • पिछले एक महीने में निफ्टी 50 ने -8.76% के रिटर्न्स दिए है
  • पिछले एक महीने में गोल्ड ने +15.97%

निफ्टी 50 में गिरावट:
8.76% की गिरावट, दर्शाता है कि पिछले 6 महीनों में इक्विटी बाजार दबाव में रहा।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, और संस्थागत निवेशकों की बिकवाली इसके पीछे कारण हो सकते हैं।
दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक निफ्टी ने निचले स्तर बनाए, लेकिन हाल ही में रिकवरी के संकेत दिखे हैं।

गोल्ड में शानदार तेजी:
+15.97% की बढ़त, दर्शाता है कि निवेशक सुरक्षित संपत्ति (Safe Haven) की ओर बढ़ रहे हैं।
वैश्विक मंदी की आशंका, महंगाई और ब्याज दरों में संभावित कटौती से सोने में निवेश बढ़ा, फरवरी 2025 के बाद से गोल्ड की तेजी और मजबूत हुई।

निफ्टी और गोल्ड का विपरीत संबंध
जब शेयर बाजार कमजोर होता है, तब निवेशक गोल्ड में पैसा लगाते हैं (सुरक्षित निवेश)।
निफ्टी में कमजोरी के दौरान सोने की कीमतों में तेज उछाल देखा गया, जो रिस्क-ऑफ सेंटीमेंट को दर्शाता है।

संभावित कारण:
वैश्विक अनिश्चितता – युद्ध, ब्याज दरों में अनिश्चितता, मंदी की आशंका।
मुद्रास्फीति और डॉलर इंडेक्स – डॉलर कमजोर होने से सोना महंगा हुआ।
RBI और फेडरल रिजर्व नीति – ब्याज दरों को लेकर अस्थिरता के कारण निवेशकों का झुकाव सोने की ओर बढ़ा।

निष्कर्ष:

  • शेयर बाजार में गिरावट से सोने को समर्थन मिला।
  • गोल्ड निवेशकों के लिए सुरक्षित विकल्प बना हुआ है।
  • यदि वैश्विक स्थिति सुधरती है, तो निफ्टी में रिकवरी संभव है।
  • अगर महंगाई और अस्थिरता बनी रही, तो गोल्ड नई ऊंचाइयाँ छू सकता है।

 

Nifty vs Gold One Year Trend Analysis (मार्च 2024 – मार्च 2025)

Nifty VS Gold - 1 year comparision
Nifty VS Gold – 1 year comparision

 

एक साल में क्या दिया ?

पिछले एक साल में गोल्ड का शानदार प्रदर्शन37.80% की तेजी, सोने ने निफ्टी की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया।
पिछले एक साल में निफ्टी की सीमित बढ़त5.47% की वृद्धि, हालांकि बाजार अस्थिर रहा, लेकिन सालभर में पॉजिटिव बना रहा।

विपरीत ट्रेंड

  • निफ्टी ने जुलाई 2024 तक अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन बाद में अस्थिरता देखी गई।
  • गोल्ड लगातार मजबूत रहा, खासकर अक्टूबर 2024 के बाद इसकी तेजी और बढ़ी।

 गोल्ड की तेजी के पीछे मुख्य कारण

मुद्रास्फीति (Inflation) – बढ़ती महंगाई ने सोने की मांग को बढ़ाया।
फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीतियाँ – ब्याज दरों में संभावित कटौती से सोने की कीमतों में उछाल आया।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता – मंदी की आशंका और बैंकिंग सेक्टर में संकट के कारण निवेशकों ने सुरक्षित संपत्ति के रूप में सोने को चुना।
डॉलर इंडेक्स और रुपये में उतार-चढ़ाव – डॉलर में गिरावट से सोने की कीमतों को सपोर्ट मिला।

 निफ्टी 50 के प्रदर्शन के पीछे कारण

भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती – जीडीपी ग्रोथ और कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन से बाजार को सपोर्ट मिला।
FII और DII निवेश प्रवाह – विदेशी और घरेलू निवेशकों ने भारतीय बाजार में निवेश बनाए रखा।
अस्थिरता और करेक्शन – दिसंबर 2024 से निफ्टी में करेक्शन देखा गया, लेकिन फरवरी 2025 से रिकवरी शुरू हुई।

 भविष्य की संभावनाएँ

  • अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होता है, तो निफ्टी और मजबूत हो सकता है।
  • अगर मुद्रास्फीति और ब्याज दरें ऊँची रहती हैं, तो सोने की तेजी जारी रह सकती है।
  • लंबी अवधि में, दोनों एसेट क्लास अपने-अपने ट्रेंड को फॉलो कर सकते हैं।

 निष्कर्ष:

गोल्ड ने निफ्टी की तुलना में अधिक रिटर्न दिया और सुरक्षित निवेश का मजबूत विकल्प बना।
निफ्टी में उतार-चढ़ाव रहा, लेकिन लंबी अवधि में भारतीय इक्विटी बाजार मजबूत रह सकता है।
निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों एसेट क्लास में निवेश पर विचार करना चाहिए।

Gold price breakout analysis

गोल्ड प्राइज ब्रेकआउट के लिए तैयार

XAU/USD प्राइस एक्शन एनालिसिस

 

TREND ANALYSIS OF XAUUSD
TREND ANALYSIS OF XAUUSD

 

महत्वपूर्ण ज़ोन और संभावित मूवमेंट
 सप्लाई ज़ोन (3065 – 3090) & बुलिश ट्रेंड:
गोल्ड इस ज़ोन के ऊपर बुलिश रहेगा।
अगर प्राइस इस ज़ोन को ब्रेकआउट करता है, तो पहला टारगेट:3255 – 3303
इसके बाद संभावित दूसरा टारगेट: 3760 – 3804

 नो-ट्रेडिंग ज़ोन (2890 – 2950):
यह एक अनिश्चितता वाला ज़ोन है।
यदि गोल्ड 2950 से नीचे जाता है, तो इसमें सेलिंग प्रेशर आ सकता है।

 मेजर सपोर्ट ज़ोन (2777 – 2750):
यह एक मजबूत सपोर्ट लेवल है, जहां से प्राइस बाउंस कर सकता है।
अगर यह सपोर्ट ब्रेक होता है, तो गोल्ड 2550 – 2535 तक गिर सकता है।

 संभावित मूवमेंट:
गोल्ड बुलिश रहेगा अगर 3090 के ऊपर कैंडल क्लोज़िंग होती है।
अगर 2950 के नीचे आता है, तो प्राइस 2890 और फिर 2777 के सपोर्ट की ओर जा सकता है।**
3750 – 3800 तक गोल्ड का लॉन्ग-टर्म टारगेट संभव, अगर सप्लाई ज़ोन ब्रेक होता है।**

निष्कर्ष
बुलिश साइड: 3090 से ऊपर लॉन्ग पोजीशन लेना फायदेमंद हो सकता है।
बेयरिश साइड: 2950 से नीचे सेलिंग प्रेशर बढ़ सकता है।
सपोर्ट-रेसिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिंग करना ज़रूरी है।

 

I’m a stock market trader with 8+ years of experience, specializing in chart analysis and trading psychology. I share my learnings in hindi to help others avoid common trading mistakes and build the right mindset for consistent profit.

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