ऑप्शन ट्रेडिंग Vs फ्यूचर्स ट्रेडिंग: कौन है ज्यादा फायदेमंद?

परिचय:
शेयर बाजार में ट्रेडिंग के कई तरीके होते हैं – ऑप्शन ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग ,स्टॉक ट्रेडिंग इन सभी में जोखिम और रिटर्न का स्तर अलग-अलग होता है। इस लेख में हम ऑप्शन ट्रेडिंग और फ्यूचर्स ट्रेडिंग की सखोल तुलना करेंगे और समझाएंगे कि क्यों फ्यूचर ट्रेडिंग आज के समय में एक समझदारी भरा पर्याय क्यू हो सकता है।

इस ब्लॉग के महत्वपूर्ण टॉपिक

  • ऑप्शन बायिंग बनाम ऑप्शन सेलिंग
  • फ्यूचर ट्रेडिंग बनाम ऑप्शन ट्रेडिंग
  • ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान
  • फ्यूचर ट्रेडिंग फायदे और नुकसान
  • ऑप्शन ट्रेडिंग या फ्यूचर ट्रेडिंग कौन बेहतर है

1. ऑप्शन बायिंग ट्रेडिंग क्या है?

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट भी डेरिवेटिव मार्केट का एक महत्वपूर्ण उत्पाद है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदने पर खरीदार को यह अधिकार मिलता है कि वह भविष्य में किसी निश्चित मूल्य (जिसे Strike Price कहा जाता है) पर स्टॉक खरीद सकता है। इसे “Right to Buy” यानी खरीदने का अधिकार कहा जाता है।

ऑप्शन बायिंग में ट्रेडर एक प्रीमियम देकर किसी स्टॉक या इंडेक्स को भविष्य में एक निश्चित प्राइस पर खरीदने (Call) या बेचने (Put) का अधिकार लेता है।

ऑप्शन बायिंग के फायदे:

  • सीमित नुकसान: ऑप्शन खरीदने वाले ट्रेडर का नुकसान केवल चुकाए गए प्रीमियम तक ही सीमित होता है। इससे रिस्क कंट्रोल में रहता है।
  • कम पूंजी में ट्रेडिंग: ऑप्शन ट्रेडिंग में कम कैपिटल लगाकर भी बड़ी पोजीशन ली जा सकती है, जिससे छोटे निवेशक भी इसमें भाग ले सकते हैं।
  •  बड़ी मूवमेंट पर बड़ा मुनाफ़ा: यदि बाजार में तेज़ या बड़ी दिशा में मूवमेंट होती है, तो ऑप्शन ट्रेडिंग से बहुत अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

बिलकुल! नीचे दिए गए “नुकसान” बिंदुओं को बेहतर और स्पष्ट तरीके से लिखा गया है:


ऑप्शन बायिंग के नुकसान :

  • समय की गिरावट (Time Decay) का जोखिम:
    ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू समय के साथ घटती जाती है। जैसे-जैसे एक्सपायरी नज़दीक आती है, अगर प्राइस मूवमेंट नहीं हुआ तो ऑप्शन की वैल्यू तेजी से गिरती है।
  • अधिकांश ऑप्शन्स का बेकार हो जाना:
    ज़्यादातर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स एक्सपायरी तक बेकार (Worthless) हो जाते हैं, जिससे निवेशकों को पूरा प्रीमियम नुकसान में चला जाता है।
  • दिशा और समय का सटीक अनुमान ज़रूरी:
    ऑप्शन ट्रेडिंग में सिर्फ सही दिशा पहचानना ही काफी नहीं है, बल्कि सही समय पर मूवमेंट होना भी बेहद ज़रूरी होता है। समय पर सही निर्णय न लेने पर नुकसान की संभावना बढ़ जाती है।

 2. ऑप्शन सेलिंग क्या है?

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बेचने वाले (Seller) को स्टॉक बेचने का अधिकार प्राप्त होता है, जिसे “Right to Sell” कहा जाता है। ऑप्शन खरीदते समय खरीदार को एक निश्चित राशि का भुगतान करना होता है, जिसे Premium कहा जाता है। ऑप्शन सेलर वह होता है जो ऑप्शन को बेचकर प्रीमियम प्राप्त करता है। अगर वह ऑप्शन एक्सपायर हो जाता है, तो सेलर को पूरा प्रीमियम मुनाफा होता है।

ऑप्शन सेलिंग के फायदे:

  • 70-80% मामलों में ऑप्शन सेलर को लाभ होता है, क्योंकि अधिकांश ऑप्शन एक्सपायरी तक बेकार हो जाते हैं।
  • टाइम डिके (समय के साथ मूल्य की गिरावट) हमेशा ऑप्शन सेलर के पक्ष में काम करता है, जिससे उन्हें समय बीतने के साथ फायदा होता है।
  • साइडवे या स्थिर मार्केट में ऑप्शन सेलिंग विशेष रूप से लाभदायक होती है, क्योंकि कीमत ज्यादा नहीं हिलती और प्रीमियम धीरे-धीरे घटता है।

ऑप्शन सेलिंग के नुकसान (Option Selling Disadvantages):

  • अनलिमिटेड नुकसान का जोखिम: ऑप्शन बेचने वाले के लिए नुकसान की कोई सीमा नहीं होती। अगर बाजार तेजी या गिरावट में बहुत अधिक चला गया, तो भारी नुकसान हो सकता है।
  • भारी मार्जिन की आवश्यकता: ऑप्शन सेलिंग के लिए ट्रेडर को बड़ी रकम का मार्जिन देना पड़ता है, जो छोटे निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • तेजी या गिरावट में बड़ा नुकसान: जब बाजार में तेज मूवमेंट (तेजी या गिरावट) होता है, तो ऑप्शन सेलर को भारी घाटा उठाना पड़ सकता है, खासकर यदि पोजिशन ठीक से हेज नहीं की गई हो।

 

 3. फ्यूचर ट्रेडिंग क्या है?

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट डेरिवेटिव मार्केट का एक महत्वपूर्ण उत्पाद हैफ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट को बाय या सेल किया जा सकता है और उसेही के फ्यूचर ट्रेडिंग कहते है। फ्यूचर ट्रेडिंग में आप किसी स्टॉक या इंडेक्स को एक निश्चित प्राइस पर भविष्य की तारीख के लिए खरीदते या बेचते हैं। इसमें कोई प्रीमियम नहीं होता, बल्कि पूरे कांट्रैक्ट का एक मार्जिन देना होता है।

फ्यूचर ट्रेडिंग के प्रमुख फायदे:

  1. लॉन्ग पोजीशन (Long Position):
    जब आपको लगता है कि किसी स्टॉक की कीमत भविष्य में बढ़ेगी, तो आप फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।
  2. शॉर्ट पोजीशन (Short Position):
    जब आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत गिरेगी, तो आप फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट बेच सकते हैं। खास बात यह है कि फ्यूचर ट्रेडिंग में आप बिना स्टॉक होल्ड किए भी शॉर्ट सेलिंग कर सकते हैं।
  3. कम पूंजी में ट्रेडिंग (Margin Facility):
    फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में ट्रेड करने के लिए आपको स्टॉक की पूरी कीमत चुकाने की जरूरत नहीं होती। आप केवल एक निश्चित Margin देकर ट्रेड कर सकते हैं, जिससे कम पूंजी में बड़ा एक्सपोजर मिलता है।
  4. डिलीवरी की जरूरत नहीं (No Delivery Required):
    फ्यूचर ट्रेडिंग में शेयर की डिलीवरी नहीं लेनी होती, जिससे ब्रोकर चार्ज, स्टैंप ड्यूटी, और अन्य खर्चों में काफी कमी आती है।
  5. Hedging की सुविधा (नुकसान से बचाव):
    अगर आपने कैश मार्केट में स्टॉक खरीद रखे हैं, तो फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए आप अपनी पोजीशन को Hedge कर सकते हैं। इससे मार्केट गिरने की स्थिति में आपके नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है।

 

फ्यूचर ट्रेडिंग के नुकसान

  • बड़ा कैपिटल ब्लॉक हो सकता है:
    ऑप्शन ट्रेडिंग के हिसाब से ज्यादा कॅपिटल की जरुरत होती है ,अगर ट्रेड लंबे समय तक ओपन रहता है, तो पूंजी का उपयोग अन्य अवसरों में नहीं किया जा सकता।
  • नुकसान लिमिटेड नहीं होता:
    ऑप्शन सेलिंग की तरह इसमें भी नुकसान अनलिमिटेड हो सकता है, खासकर जब मार्केट आपके खिलाफ चलता है और आपने अगर हेजिंग या स्टॉप लॉस का उपयोग नहीं किया हो तो
  • स्टॉप लॉस जरूरी होता है:
    फ्यूचर ट्रेडिंग में जोखिम मूवमेंट अधिक होती है, इसलिए हर ट्रेड में स्टॉप लॉस लगाना बेहद जरूरी होता है। थोड़ी सी लापरवाही भारी नुकसान में बदल सकती है।
Future and option market types for trading
Future and option market types for trading

ऑप्शन बायिंग vs ऑप्शन सेलिंग vs फ्यूचर ट्रेडिंग :तुलना

विशेषता

ऑप्शन बायिंग

ऑप्शन सेलिंग

फ्यूचर ट्रेडिंग

पूंजी की जरूरत

कम

मध्यम

ज्यादा

रिस्क

सीमित

अनलिमिटेड

अनलिमिटेड

प्रॉफिट प्रोबैबलिटी

कम (20-30%)

ज्यादा (70-80%)

बेहतर रिस्क-रिवार्ड

टाइम डिके का असर

नकारात्मक

सकारात्मक

नहीं

स्टॉप लॉस

जरुरी

बहुत जरुरी

बहुत जरुरी

 

फ्यूचर ट्रेडिंग बेहतर क्यों है ऑप्शन ट्रेडिंग से? जानिए फायदे

  1. ऑप्शन में ट्रेडिंग करने के लिए आपको स्ट्राइक प्राइस , ऑप्शन ग्रीक , एक्सपायरी इन सब बातोंका खयाल रखना पड़ता है , फ्यूचर ट्रेडिंग में यह सब नहीं होता इसलिए कम एनालिसिस करना पड़ता है।
  2. ऑप्शन बायर को टाइम वैल्यू से नुकसान होने के चान्सेस ज्यादा होते है , फ्यूचर ट्रेडिंग में टाइम वैल्यू नहीं होती है।
  3. ऑप्शन बायिंग में डेल्टा मतलब अगर निफ़्टी 100 पॉइंट मूवमेंट करता है , तो ऑप्शन में जिस स्ट्राइक प्राइस का डेटला ५०% हो उसका प्रीमियम 50 पॉइंट्स ही बढ़ेगा और फ्यूचर ट्रेडिंग में डेल्टा 100 % होता है।
  4. साइड वेज़ मार्केट में ऑप्शन सेलिंग और ऑप्शन बायींग से बेहतर रिजल्ट फ्यूचर ट्रेडिंग में मिलते है।
  5. अगर बड़ी मूवमेंट आती है और आप ऑप्शन सेलिंग कर रहे हो , तो प्रीमियम जीरो से निचे नहीं जा सकता और आपका प्रॉफिट लॉक हो जाता है , ऐसे समय फ्यूचर ट्रेडिंग में अनलिमिटेड प्रॉफिट हो सकता है।

📌 निष्कर्ष:

  • अगर आप नया ट्रेडर हैं और सिर्फ प्रॉफिट के चांस देख रहे हैं तो ऑप्शन बायिंग आपको आकर्षक लगेगा।
  • अगर आप प्रोफेशनल ट्रेडर हैं और रिस्क मैनेजमेंट में अच्छे हैं, तो ऑप्शन सेलिंग आपके लिए ठीक है।
  • लेकिन अगर आप एक बैलेंस्ड, प्रेडिक्टेबल और लॉजिक-आधारित ट्रेडिंग चाहते हैं, तो फ्यूचर ट्रेडिंग सबसे बेहतर विकल्प है

FAQs 

Q1. फ्यूचर ट्रेडिंग सुरक्षित है या नहीं?
हाँ, अगर आप स्टॉप लॉस का पालन करें और बिना भावनाओं के ट्रेड करें तो फ्यूचर ट्रेडिंग अपेक्षाकृत सुरक्षित होती है।

Q2. ऑप्शन बायिंग में ज़्यादा लोग क्यों लॉस करते हैं?
क्योंकि ऑप्शन बायिंग में टाइम वैल्यू होता है जो समय के साथ कम होता है और एक्सपायरी के दिन रिस्कऔर बढ़ जाता है।

Q3. नये ट्रेडर के लिए ऑप्शन सेलिंग क्यों मुश्किल है ?
ऑप्शन सेलिंग में बहुत सारि स्ट्रैटर्जी का उपयोग होता है ,मार्केट के ट्रेंड नुसार उसका उपयोग करना पड़ता है और इसे ध्यान में रखने के लिए काफी प्रक्टिस करनी पड़ती है।

 

 

 

 

I’m a stock market trader with 8+ years of experience, specializing in chart analysis and trading psychology. I share my learnings in hindi to help others avoid common trading mistakes and build the right mindset for consistent profit.

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