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ऑप्शन बायिंग में इमोशन कन्ट्रोल और मनी मॅनेजमेंट कैसे करें?

इमोशन कन्ट्रोल और मनी मॅनेजमेंट कैसे करें

इमोशन कन्ट्रोल और मनी मॅनेजमेंट कैसे करें

ऑप्शन बायिंग में इमोशन कन्ट्रोल और मनी मॅनेजमेंट कैसे करें? – परिचय (Introduction)

इंट्राडे ऑप्शन बायिंग ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस या स्ट्रेटेजी से कई गुना ज्यादा इमोशन और मनी मनेजमेंट क्यू जरुरी है , इंट्राडे ट्रेडिंग में आपने देखा होगा हर दीन अलग -अलग चार्ट पैटर्न बनते है , ट्रेडिंग एक probablity Game है , इसलिए इसमें इमोशन और मनी मनेजमेंट बहुत मायने रखता है।
सिर सलामत तो पगड़ी पचास यह कहावत तो अपने सुनी होगी ट्रेडिंग में भी यह लागु होता है , आपका कैपिटल मतलब आपका सिर है इसलिए उसे सलामत रखना आपका पहला कर्त्तव्य है।
ट्रेडर का असली इम्तिहान तब होता है जब भावनाएं – डर, लालच, गुस्सा या अधिक आत्मविश्वास – फैसले लेने लगती हैं। इसी के साथ जरूरी है जोखिम का प्रबंधन (Risk & Money Management)

इस लेख में हम जानेंगे:


1. ऑप्शन बायिंग में डिसिप्लिन कैसे बनाए रखें?

👉 डिसिप्लिन का मतलब है – प्लान के अनुसार ट्रेड करना, ना कि मूड या इमोशंस के हिसाब से।

डिसिप्लिन रखने के लिए पहले आपके पास ट्रेडिंग प्लान होना जरुरी है , ट्रेडिंग प्लान मतलब आप को कहा एंट्री लेनी है , स्टॉपलॉस कहा लगाना है , कितने लॉट लेना है , कितना हर ट्रेड में लॉस लेना है कॅपिटल के हिसाब से , एक दिन में कितने ट्रेड लेने है और प्रॉफिट कहा बुक करना है यह पूरी जानकारी ट्रेड लेने से पहले आप के पास होना जरुरी है।
ट्रेडिंग प्लान बनने के बाद उसे डिसिप्लिन से फॉलो करना यह दूसरी और महत्वपूर्ण स्टेप है , किसी कारन वश आपको ट्रेडिंग प्लान में रिस्क कम करने के लिए चेंज करना पड़े तो आप कर सकते है लेकिन कुछ भी हो जाये आपका दिन का लॉस ट्रेडिंग प्लान के हिसाब से ही लेना चाहिए।  ट्रेडिंग जर्नल बनाएं और उसमें हर ट्रेड का कारण लिखें


2. लालच और डर से कैसे बचें?

लालच:

डर:


3. लॉस होने पर क्या करें?

लॉस हर ट्रेडर की जर्नी का हिस्सा है। गलती ये है कि लोग लॉस के बाद Revenge Trading करते हैं। अगर आपके ट्रेडिंग प्लान अनुसार आपका एक दिन का लॉस का टारगेट पूरा हुवा है तो क्या करे ?

  1. ट्रेडिंग स्क्रीन सबसे पहले बंद करें और शांत मन से एनालिसिस करें
  2. जर्नल में नोट करें कि गलती क्या थी , उसे अगली बार रोकने के लिए क्या करना चाहिए।
  3. अगला दिन Fresh Start से करें, पुराने Loss को Recover करने की कोशिश ना करें
  4. माइंड रीसेट के लिए ब्रेक लेंके बाद माइंड सेट ख़राब होने से बचता है।
  5. कहना आसान है, करना मुश्किल, लेकिन किसी भी ट्रेडर के लिए जो लंबे समय तक सफलता चाहता है, यह ज़रूरी है।

4. ऑप्शन बायिंग में कितना रिस्क होता है?

ऑप्शन बायिंग में Maximum Loss = Premium Paid , वैसे देखा जाये तो ऑप्शन बायिंग में रिस्क लिमिटेड होता है , लेकिन ट्रेडर लोट की संख्या बढाकर इसे अनलिमिटेड कर देता है , उसमे भी अगर एक्सपायरी डे हो तो ट्रेडर अपना पूरा कैपिटल भी गवा सकता है

एक ट्रेड में कैपिटल का 1%-2% से ज्यादा Risk न लें
Example: ₹50,000 कैपिटल है तो एक ट्रेड में Max ₹1,000 का रिस्क ले सकते है।


5. ऑप्शन बायिंग में पैसे कैसे मैनेज करें?

Capital Allocation Tips:


6. ऑप्शन बायिंग में स्टॉप लॉस कैसे लगाएं?

ऑप्शन ट्रेडिंग में आप तीन तरह के स्टॉपलॉस (SL) लगा सकते

Premium Based SL:
₹120 में खरीदा, ₹100 SL – यानी ₹20 का SL (17%)

Chart Based SL:
Underlying asset (जैसे Nifty) के सपोर्ट/रेसिस्टेंस पर SL लगाएं

Trailing SL:
Profit आने पर SL को Cost या Profit Zone में शिफ्ट करें

स्टॉपलॉस से न घबराये यह आपके बड़े लॉस और बड़े लॉस के बाद ख़राब होने वाले माइंड सेट से बचता है।


7. कैपिटल कितना लगाना चाहिए ऑप्शन बायिंग में?


FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. ऑप्शन बायिंग में सबसे बड़ा खतरा क्या है?
👉 बिना SL के ट्रेड करना और इमोशन में आकर Over Trade करना।

Q2. क्या हर Loss एक गलती होती है?
👉 नहीं, Loss भी सिस्टम का हिस्सा होता है। हर Loss = अनुभव।

Q3. लॉस के बाद तुरंत ट्रेड करें या ब्रेक लें?
👉 ब्रेक लें, दिमाग ठंडा करें, फिर सिस्टम के अनुसार अगला सेटअप लें।

Q4. क्या फिक्स Capital से हर बार Profit किया जा सकता है?
👉 हां, अगर Risk और Emotion कंट्रोल किया जाए तो छोटे Capital से भी Consistent Profit संभव है।


निष्कर्ष (Conclusion)

ऑप्शन बायिंग में सफलता सिर्फ नॉलेज से नहीं मिलती, बल्कि सही मानसिकता और पूंजी प्रबंधन से मिलती है।
डर और लालच पर काबू, रिस्क लिमिटेड रखना, और डिसिप्लिन में रहकर ट्रेड करना – यही आपकी सफलता की असली कुंजी है।

 

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